क्या आप भी बच्चों को दूसरों के सामने डांटते हैं? जानें इसके खतरनाक प्रभाव

Parenting Tips: क्या आप अक्सर अपने बच्चे को दूसरों के सामने डांटते हैं? यह एक ऐसी आदत है जो उनके आत्मविश्वास और मनोबल को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।

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Parenting Tips: आपने बहुत लोगों को यह कहता सुना होगा कि बच्चे पैदा करना बहुत आसान है, लेकिन उन्हें बड़ा करना बहुत मुश्किल। दरअसल, बच्चों की परवरिश वाकई एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और हर माता-पिता का लक्ष्य होता है, कि वह अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और आदतें सिखाएं। लेकिन अक्सर माता-पिता एक सामान्य गड़बड़ी कर देते हैं, जो है बच्चों को दूसरों के सामने डांटना।

यह न केवल बच्चों के आत्म सम्मान को प्रभावित करता है। बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा नकारात्मक असर डाल सकता है। ऐसा माना जाता है कि बच्चों को दूसरों के सामने डांटने से उनकी भावना और व्यक्तित्व पर बुरा असर पड़ सकता है। यह उन्हें शर्मिंदा कर सकता है और वह अपने ही परिवार में असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। चलिए इस आर्टिकल के जरिए समझते हैं कि बच्चों को दूसरों के सामने डाटनें से क्या-क्या नुकसान होते हैं।

आत्मविश्वास कम हो जाता है

बचपन का समय वास्तव में विकास का एक महत्वपूर्ण चरण होता है और इस दौरान बच्चों की मानसिकता और आत्म सम्मान का एक गहरा असर पड़ता है। जब माता-पिता या अन्य लोग उन्हें दूसरों के सामने डांटते हैं, तो इससे बच्चों के मन में शर्मिंदगी की भावना उत्पन्न होती है। यह शर्मिंदगी उनके आत्मा स्टीम को कमजोर कर सकती है। जिससे वह खुद को हीन समझने लगते हैं।

अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसे बच्चे जो अक्सर सार्वजनिक रूप से डांटे जाते हैं, उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है और वह अपने अंदर की क्षमताओं पर शक करने लगते हैं। यह स्थिति उन्हें भावनात्मक और सामाजिक विकास को बाधित कर सकती है। जिससे वे न केवल अपने साथियों से दूर हो जाते हैं। बल्कि अपने आप को भी सही तरीके से व्यक्त करने में असमर्थ हो जाते हैं।

मन में डर बैठता है

बच्चों को दूसरों के सामने डांटना सिर्फ आत्मविश्वास को कमजोर नहीं करता बल्कि यह उनके मन में स्थायी डर भी पैदा कर सकता है। ऐसे बच्चे अपने माता-पिता को सार्वजनिक स्थानों पर अपनी अपमान का कारण मानने लगते हैं जो उनके मन में अवसाद और चिंता को जन्म दे सकता है।

यह स्थिति उन्हें सार्वजनिक जगहों पर अपने माता-पिता से दूर रहने के लिए प्रेरित कर सकती है। क्योंकि वह अपमान से बचने के लिए एंजायटी का शिकार हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरुप बच्चे गलतियों की प्रति अत्यधिक सतर्क रहने लगते हैं और ऐसे में वह माता-पिता के साथ कहीं भी सार्वजनिक जगहों पर जाना पसंद नहीं करते हैं।

भरोसा टूट जाता है

बच्चों को बार-बार दूसरों के सामने डांटने से उनके माता-पिता पर भरोसा कम होने लगता है। बच्चे अपने माता-पिता से सुरक्षा सहयोग की उम्मीद करते हैं और जब उन्हें सार्वजनिक रूप से डांटा जाता है, तो यह भरोसा टूट जाता है। इस स्थिति में बच्चे धोखे जैसा अनुभव करते हैं जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

जब बच्चे अपने माता-पिता के प्रति विश्वास खो देते हैं तो वह अपनी भावनाएं और चिंताएं छुपाने लगते हैं। वह कम बातें करते हैं और भावनात्मक रूप से माता-पिता से दूर रहने की कोशिश करते हैं जिससे परिवार में संवादहीनता पैदा होती हैं।

ढीट बन जाते हैं बच्चे

दूसरों के सामने डांटना पर एक और गंभीर दुष्प्रभाव यह है, कि यह बच्चों को बगावती बन सकता है। जब माता-पिता किसी आदत के लिए बच्चों को डांटते हैं, तो बच्चे अक्सर उस काम को जिद में आकर करने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार माता-पिता जो आदत सुधारने का प्रयास कर रहे हैं वह और बिगड़ने लगती है।

अध्ययनों से पता चलता है कि बच्चों की किसी भी आदत या व्यवहार के पीछे के कारण को समझे बिना उन्हें सार्वजनिक रूप से डांटना उस व्यवहार को और बिगाड़ सकता है। इस तरह के दृष्टिकोण से न केवल उनकी आदतें खराब होती हैं बल्कि यह उनके सामाजिक विकास में भी बाधा डालता है।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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