Plant Care: मानसून से पहले करें ये 3 कमाल के उपाय, शमी का पौधा रहेगा हरा-भरा

Plant Care: मानसून का मौसम आते ही, शमी के पौधे पर कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बारिश का पानी जमा होने से फंगस और बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जो पौधे को संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने पौधे को नियमित रूप से निरीक्षण करें और किसी भी संक्रमण के शुरुआती लक्षणों का पता लगाते ही तुरंत कार्रवाई करें।

shami plant

Plant Care: हिंदू धर्म में, पेड़-पौधों को सदैव से ही पूजनीय माना गया है। इनमें से एक है शमी का पौधा, जिसे अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। घर में शमी का पौधा लगाने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आने की मान्यता है। यही कारण है कि यह पौधा भारतीय घरों में आसानी से देखा जा सकता है। लेकिन, शमी के पौधे को घर में लाकर लगा देना ही पर्याप्त नहीं है, उसकी उचित देखभाल भी आवश्यक है। शमी का पौधा सूर्य की रोशनी और पानी को पसंद करता है। इसे नियमित रूप से पानी देना चाहिए, ध्यान रखते हुए कि मिट्टी जलभराव न हो। इसके अलावा, समय-समय पर पौधे की सूखी हुई पत्तियों और टहनियों को हटाते रहना चाहिए। साथ ही, नियमित रूप से खाद डालकर पौधे को पोषण देना चाहिए। देखभाल के साथ, शमी का पौधा न केवल आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा लाएगा, बल्कि आपके जीवन में भी खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक बनेगा।

बारिश का मौसम आने वाला है, और इस मौसम में आपके शमी के पौधे को थोड़ी अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होगी। गर्मी के मौसम में तपती धूप और कम पानी के बाद, मानसून में अचानक होने वाली भारी बारिश से पौधे को झटका लग सकता है। इसलिए, जरूरी है कि आप मानसून आने से पहले ही कुछ तैयारी कर लें, ताकि आपका शमी का पौधा बरसात के मौसम में भी स्वस्थ और हरा-भरा रह सके।

कैसी होनी चाहिए मिट्टी

मानसून आने से पहले अपने शमी के पौधे को स्वस्थ रखने के लिए मिट्टी तैयार करना महत्वपूर्ण है। मिट्टी में जल निकासी को बढ़ावा देने के लिए थोड़ा वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं। वर्मीकम्पोस्ट पोषक तत्वों से भरपूर होता है और मिट्टी को भुरभुरा बनाता है, जिससे जड़ों को सांस लेने के लिए जगह मिलती है। इसके बाद, गमले की मिट्टी को गहराई से खोदें। यह जड़ों को बढ़ने के लिए अतिरिक्त जगह प्रदान करता है और साथ ही हवा के संचार में सुधार करता है। गहरी खुदाई से मिट्टी को बारिश के पानी को तेजी से सोखने में मदद मिलती है, जिससे जलभराव और जड़ सड़ने का खतरा कम हो जाता है।

जल निकासी छेदों की जांच करना भी न भूलें। यदि वे बंद हैं, तो उन्हें खोल दें ताकि अतिरिक्त पानी निकल सके। आप मिट्टी को हल्का बनाने के लिए रेत या परलाइट जैसा मिट्टी संशोधक भी मिला सकते हैं। अंत में, मिट्टी की नमी की जांच करें। यदि यह सूखी है, तो हल्का सा पानी दें। ये सरल कदम मानसून के दौरान आपके शमी के पौधे को स्वस्थ और खुश रखने के लिए मिट्टी को तैयार करने में मदद करेंगे।

नियमित छटाई करते रहें

मानसून से पहले शमी के पौधे को मजबूत बनाना जरूरी है, इसलिए इसकी छंटाई करें। मृत, क्षतिग्रस्त या बीमार टहनियों को काटने से हवा का प्रवाह बेहतर होगा और रोग लगने का खतरा कम हो जाएगा। बारिश के मौसम में संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए एहतियात के तौर पर मानसून से पहले ही यह छंटाई कर लेनी चाहिए।

कीड़ों से ऐसे बचाएं

मानसून का मौसम आते ही खुशियां तो लाता है, पर साथ ही ये फफूंद और बैक्टीरिया पनपने का भी मौसम होता है। नतीजा, शमी के पौधे को कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बारिश का जमा हुआ पानी इन समस्याओं को और गंभीर बना सकता है। इसलिए, अपने शमी के पौधे को बचाने के लिए मानसून से पहले ही एहतियात लेना जरूरी है। हर कुछ दिनों में पौधे का अच्छी तरह निरीक्षण करें, खासकर पत्तियों, तनों और डंठलों के नीचे के हिस्सों को। सफेद धब्बे, मुरझाई हुई पत्तियां, छोटे छेद या कीड़े खुद संक्रमण के संकेत हो सकते हैं। ऐसे में देर न करें, प्राकृतिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करें। नीम का तेल या लहसुन का अर्क इस काम के लिए कारगर साबित होते हैं। रोगग्रस्त पत्तियों को तुरंत हटा दें और उन्हें नष्ट कर दें। साथ ही, पौधे के आसपास हवा का संचार बनाए रखने के लिए घनी पत्तियों को हटाएं और पौधों के बीच थोड़ी जगह बनाएं।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

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