मौत को लेकर हुई इस स्टडी ने चौंकाया! आखिर मरते वक्त क्या होता है?

मौत को लेकर कई स्टडी की जा चुकी है लेकिन अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि मौत होने पर कैसा फील होता है। मौत के समय व्यक्ति को किन चीजों से गुजरना पड़ता हैं, लेकिन एक ऐसी स्टडी ने लोगों को चौंका कर रख दिया है जिसने मौत को बेहद करीब से जाना है।

Ronak Namdev
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आपने अपने जीवन में ऐसे कई लोगों के बारे में सुना होगा जिन्होंने मौत को बेहद करीब से देखा हो। कई ऐसी कहानी सुनने में आती है कि मौत के बाद ये व्यक्ति फिर से जिंदा हो गया। एक स्टडी की मानें तो मौत को बेहद करीब से अनुभव करने वाले ज्यादातर लोगों ने यह पाया कि उनकी पूरी जिंदगी उनके सामने तेजी से दोहराती है। हालांकि यह किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है लेकिन यह स्टडी आपको सोचने पर मजबूर जरूर कर सकती है। बता दें कि नर्वस सिस्टम का अध्ययन करने वाली वैज्ञानिक जिमो बोरजीगिन को इस बात का अनुभव जब हुआ तो वे चौंक गई। उन्होंने जानना चाहा कि मरते वक्त दिमाग में क्या हो रहा होता है?

कुछ मान्यताएं है कि मौत जीवन का अंत नहीं यह तो नई शुरुआत है। हालांकि अब तक इसे लेकर हमारा ज्ञान बेहद कम है। वैज्ञानिक बोरजीगिन को मौत के समय अपने दिमाग की हालत का एहसास लगभग 10 साल पहले हुआ था। हालांकि यह किसी संयोग से कम नहीं है। बोरजीगिन ने यह बात बीबीसी से कही थी। उन्होंने कहा कि “हम चूहों पर एक्सपेरिमेंट कर रहे थे और सर्जरी के बाद उनके दिमाग में होने वाले केमिकल बदलावों की जांच कर रहे थे”।

इस स्टडी ने सभी को चौंकाया

हालांकि इस दौरान उन्होंने जानकारी दी कि इस रिसर्च में दो चूहों की मौत हो गई। लेकिन इससे उन्हें कई अहम जानकारी प्राप्त हुई है। उन्हें यह पता चला कि मरने की प्रक्रिया के दौरान दिमाग में होने वाले बदलाव कौनसे हैं। रिसर्च में जानकारी मिली कि उन चूहों में से एक में सेरोटोनिन नाम के केमिकल की बहुत ज़्यादा मात्रा मरते समय रिलीज हुई। इससे यह जानकारी मिली कि क्या उस चूहे को दिमाग का भ्रम हो रहा था? इसे लेकर उन्होंने जानकारी दी कि, “सेरोटोनिन दिमाग के भ्रम से जुड़ा हुआ है”। यह केमिकल मूड को कंट्रोल करता है। जिसके बाद उन्हें इसके बारे में और जानने की इच्छा होने लगी। जिसके बाद उन्होंने इसे लेकर किताबों में छानबीन करना शुरू कर दिया।

मौत के वक्त क्या होता है?

इसे लेकर उन्होंने बताया कि, “इस रिसर्च के बाद मैंने हफ्ते के आख़िर में इसके बारे में किताबों में ढूंढना शुरू किया। मैं इसके पीछे कोई उचित वजह ढूंढ रही थी।” वही 2013 में चूहों पर की गई एक रिसर्च में पाया गया कि चूहों के दिल की धड़कन बंद होने के बाद दिमाग के कई केमिकल में तेज़ गतिविधि होती है। उन्होंने यह पाया कि मौत के दौरान सेरोटोनिन 60 गुना तक बढ़ गया और डोपामाइन भी 60 गुना बढ़ गया है। इससे यह साफ हुआ कि डोपामाइन जो एक ऐसा केमिकल है, जो आपको अच्छा महसूस कराता है। वह तेजी से रिलीज हुआ यानी चूहे को मौत के वक्त रिलेक्स फील हुआ होगा। हालांकि अब तक की स्टडी में यह पाया कि चूहों की मौत के वक्त दिमाग में तेज प्रतिक्रिया देखने को मिली।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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