Parenting Mistakes: बच्चों की अच्छी परवरिश करना माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। जैसे-जैसे दुनिया बदल रही है वैसे-वैसे परवरिश करने का तरीका भी दिन-ब-दिन बदलते जा रहा है। पहले बच्चों की परवरिश अलग ढंग से की जाती थी और अब बच्चों की परवरिश काफी अलग ढंग से की जाती है। हर माता-पिता को यही डर सताता रहता है कि कहीं उनका बच्चा बड़े होकर बिगड़ ना जाए या कोई गलत राह न पकड़ लें। हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और अच्छी सीख देना चाहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की माता-पिता की कुछ गलतियों की वजह से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जी हां, जाने अनजाने में माता-पिता के द्वारा किए गए काम बच्चों को कमजोर बना सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा स्ट्रांग रहे और हर परेशानी का सामना डटकर करें तो आपको तुरंत अपनी कुछ आदतों को सुधार लेना चाहिए। आज हम आपको माता-पिता की उन गलतियों के बारे में बताने जा रही हैं जिसकी वजह से बच्चे मुश्किलों का सामना करने से डरते हैं, तो चलिए जानते हैं।
बच्चों की ज़िद पूरी करना
बच्चे अपनी जिद और मांगों के लिए जाने जाते हैं। खिलौने, कपड़े, घड़ी, साइकिल जैसी चीजों के लिए वे अक्सर जिद करते हैं और माता-पिता खुशी खुशी ये चीजें बच्चों को दिला भी देते हैं। लेकिन क्या यह सचमुच बच्चों के लिए अच्छा है कि उनकी हर मांग पूरी कर दी जाए? विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करना बच्चों के विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। यदि बच्चों को हर वक्त वही मिल जाता है जो वे चाहते हैं, तो वे बिगड़ सकते हैं और सोच सकते हैं कि दुनिया उनके इर्द-गिर्द घूमती है। यदि बच्चों को हमेशा वही नहीं मिलता जो वे चाहते हैं, तो वे असंतुष्ट और नाखुश हो सकते हैं। यदि बच्चों को हमेशा वही मिल जाता है जो वे चाहते हैं, तो वे चीजों का मूल्य नहीं समझ पाते हैं और कृतज्ञ नहीं होते हैं। यदि बच्चों को कभी अपनी चीजों की जिम्मेदारी नहीं लेनी पड़ती, तो वे जिम्मेदार नहीं बन पाते हैं।
बच्चों के साथ समय न बिताना
आजकल ज्यादातर माता-पिता कामकाजी होते हैं, जिसके कारण वे अपने बच्चों के साथ पर्याप्त समय नहीं बिता पाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों के साथ समय न बिताना उनके विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है? जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय नहीं बिताते, तो बच्चे अकेलेपन, उदासी और चिंता महसूस कर सकते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है और वे सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस कर सकते हैं। बच्चों को अपने माता-पिता से सामाजिक कौशल सीखने के लिए समय बिताने की आवश्यकता होती है। जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय नहीं बिताते, तो बच्चे सामाजिक रूप से अनुपयुक्त हो सकते हैं और दोस्त बनाने में मुश्किल हो सकती है।अध्ययनों से पता चला है कि जो बच्चे अपने माता-पिता के साथ पर्याप्त समय बिताते हैं, वे स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय नहीं बिताते, तो बच्चों में व्यवहार समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है, जैसे कि आक्रामकता, अवज्ञा और झूठ बोलना।
अत्यधिक नियम बताना
थोड़े-बहुत नियम और अनुशासन बच्चों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। लेकिन, जब बच्चों पर बहुत अधिक पाबंदियां लगा दी जाती हैं, तो इसका उनके मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जब बच्चों को हर चीज के लिए मंजूरी मांगनी होती है और वे अपनी पसंद के अनुसार निर्णय नहीं ले पाते, तो उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है। अत्यधिक प्रतिबंधों वाले माहौल में रहने वाले बच्चे चिंता और अवसाद का अनुभव कर सकते हैं। जब बच्चे दूसरों के साथ घुलने-मिलने और अनुभव प्राप्त करने से वंचित रहते हैं, तो वे सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस कर सकते हैं। यदि बच्चे जानते हैं कि उन्हें सजा मिलेगी, तो वे अपने माता-पिता से झूठ बोलना या उनसे चीजें छिपाना शुरू कर सकते हैं।अत्यधिक प्रतिबंधों के खिलाफ विद्रोह करना स्वाभाविक है।
अत्यधिक सुरक्षा प्रदान करना
माता-पिता का कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को सुरक्षित रखें और उनकी रक्षा करें। लेकिन, क्या बच्चों को हमेशा सुरक्षा प्रदान करना उनके लिए अच्छा है? कुछ मामलों में, बच्चों को जीवन की कठिनाइयों से बचाने का प्रयास उनके लिए हानिकारक हो सकता है। यदि बच्चों को हमेशा सब कुछ सुपुर्द किया जाता है, तो वे स्वतंत्र रूप से काम करने और निर्णय लेने में असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। यदि बच्चों को कभी भी जोखिम लेने या अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है, तो वे नए अनुभवों और चुनौतियों से डर सकते हैं। यदि बच्चों को कभी भी गलती करने या असफल होने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो वे असफलता से डर सकते हैं और जोखिम लेने से बच सकते हैं। वास्तविक दुनिया एक सुरक्षित जगह नहीं है, और बच्चों को जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।