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Tue, Dec 16, 2025

हल्दी से लेकर सेहरा बांधने तक, जानें हिंदू धर्म की शादी की रस्मों का महत्व

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
शादी केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं होता, बल्कि यह 5 से 6 दिन तक चलने वाला बंधन होता है। जिनमें से कुछ रस्में ऐसी है, जो दुनिया भर की शादियों से इसे अलग बनाती है।
हल्दी से लेकर सेहरा बांधने तक, जानें हिंदू धर्म की शादी की रस्मों का महत्व

Wedding Rituals : शादी-ब्याह हिंदु धर्म में बहुत ही सौभाग्य की बात मानी जाती है। यह दो लोगों का पवित्र बंधन माना जाता है, जब दो परिवार के लोग भी उनकी खुशियों में शामिल होते हैं और तरह-तरह की रस्में निभाकर विवाह को संपन्न करवाते हैं। विवाह बंधन के साथ-साथ वंश बढ़ाने का जरिया भी होता है। इसे सात जन्मों का पवित्र रिश्ता माना जाता है, जब दो आत्माओं का मिलन होता है। इसलिए बहुत सारे रीति रिवाजों का पालन किया जाता है। हिंदू धर्म में शादी का बहुत बड़ा महत्व है। इसमें सभी समुदाय के लोग अलग-अलग रस्मों के साथ शादी को संपन्न करते हैं। इसकी शुरुआत माटी-मटकोर के साथ की जाती है। इसके बाद एक-एक करके सारी रस्में निभाई जाती है।

हिंदू धर्म में यह परंपरा रही है कि शादी के बाद बेटी की विदाई हो जाती है और वह अपने ससुराल चली जाती है, लेकिन उससे पहले बहुत सी रस्में निभाई जाती है।

शादी का महत्व (Wedding Rituals)

शादी केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं होता, बल्कि यह 5 से 6 दिन तक चलने वाला बंधन होता है। जिनमें से कुछ रस्में ऐसी है, जो दुनिया भर की शादियों से इसे अलग बनाती है। चलिए आज हम आपको शादी की पांच ऐसी रस्मों के बारे में बताएंगे, जो कि भारतीय परंपरा के अनुसार बेहद खास माना जाता है।

रस्मों का महत्व

  • आजकल शादी ब्याह में मेहंदी का ट्रेंड काफी ज्यादा चल रहा है। इस दिन दुल्हन हरे रंग का वस्त्र पहनती है। साथ ही हाथ और पैरों में मेहंदी लगाती हैं। साथ ही दूल्हा भी अपने हाथों में दुल्हन के नाम की मेहंदी रचाता है। इस दिन फैमिली के बाकी लोग भी सेम कलर के कपड़े पहनते हैं और संगीत में डांस करते हुए मेहंदी के कार्यक्रम को संपन्न करते हैं।
  • हल्दी के बिना कोई भी शादी अधूरी मानी जाती है। हल्दी लगाने का कार्यक्रम दो दिन पहले से शुरू हो जाता है और जब तक दूल्हा बारात के लिए ना निकल जाए, उससे पहले तक पांच बार हल्दी लगा दी जाती है। चाहे दूल्हा हो या दुल्हन हल्दी लगाने से रूप में निखार आता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, हल्दी की रस्म किसी भी तरह के अनिष्ट से बचाती है।
  • शादी के दौरान सेहरा बांधने की रस्म भी बेहद खास मानी जाती है। बारात ले जाने से पहले यह दूल्हे के जीजा द्वारा बांधा जाता है। सेहरा बंधने वाले को शगुन के तौर पर उपहार भी मिलता है।
  • वहीं, जब शादी संपन्न हो जाती है तो दुल्हन की बहने यानी दूल्हे की सालियां जूता चुराई की रस्म निभाती हैं। इसे लौट के लिए दूल्हे को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है।
  • जब दुल्हन घर आती है, तो उसका स्वागत भी हिंदू धर्म की शादी में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। इसलिए जब वह घर पर प्रवेश करती है, तो उसके हाथ में मेहंदी लगवा कर द्वार पर छाप लगवाए जाते हैं। इसके अलावा, अलता थाली में रखकर पैर की छाप बनाते हुए अंदर मंदिर में प्रवेश करती है, जो कि बेहद शुभ माना जाता है।

दरअसल, एक माता-पिता का दिल बहुत बड़ा होता है, जब वह अपने जिगर के टुकड़े को हमेशा-हमेशा के लिए किसी और के घर विदा कर देते हैं, लेकिन यह एक परंपरा है जिसे हर किसी को निभाना ही पड़ता है। हर राज्य में शादी-विवाह को लेकर अलग-अलग परंपराएं हैं, लेकिन रिवाज सभी जगह समान है। शादी के बाद बेटी मायका से विदा होकर हमेशा के लिए ससुराल चली जाती है।