नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। इतने दिनों से जिस दिन का इंतजार था, फिलहाल अब वह दिन करीब है। 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे है । पयह दिन प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत खास होता है , यह दिन ऐसा होता कि , जब लोग अपने चाहने वालों को अपने दिल की बात बताते हैं, उनसे अपने प्यार का इजहार करते हैं। यह दिन ना सिर्फ गिफ्ट बांटने , फूल देने, और घूमने के लिए खास होता है , बल्कि यह दिन लोगों के बीच के रिश्ते और प्यार को और भी ज्यादा गहरा बनाता है। इस दिन को खास बनाने के लिए अलग-अलग तरीके होते हैं।14 फरवरी को चर्च की छुट्टी होती है।
बता दें कि वैलेंटाइन डे की शुरुआत सबसे पहले प्राचीन रोम से हुई थी। वैलेंटाइन डे का इतिहास काफी ज्यादा विवादित है। 13 से 15 फरवरी के बीच रोम में एक समारोह का प्रचलन था , जिसमें महिला और पुरुष की जोड़ी बनाई जाती थी। सम्राट क्लॉडियस द्वितीय ने सेंट वेलेंटाइन को आदेश दिया था, एक पुजारी जिसने शादी करने में क्रिस्टिन जोड़ों की मदद की, उसे फांसी दे दी जाए । सम्राट क्लॉडियस इल अविवाहित पुरुषों के विवाह के खिलाफ थे और उन्होंने आदेश दिया कि संत वैलेनलाइन को बेच दिया जाना चाहिए। राजा की नाफरमानी करने पर फांसी 14 फरवरी को हुई । लेकिन यह भी कहा जाता है कि जब सेंट वेलेंटाइन को कैद किया गया था, वह जेलर की अंधी बेटी की देखभाल करता थे और उसने एक कार्ड पहना था, जिसमें वैलेंटाइन लिखा था । पोप गेलैसियस ने सातवीं शताब्दी में मूर्तिपूजक अनुष्ठानों को बंद कर दिया । और 14 फरवरी को संत वैलेंटाइन के नाम पर मनाया जाने लगा ।
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14वीं शताब्दी तक वैलेंटाइन डे को मनाया नहीं जाता था , लेकिन उसके बाद इसका प्रचलन शुरू हुआ । और इस दिन को प्यार के लिए सेलिब्रेट किया जाने लगा । 1700 ईस्वी में प्रिंटेड कार्ड भी इस्तेमाल में लाए गए। संत वैलेंटाइन को “कूबईड” रोमन गॉड ऑफ हाथ और इमोशंस का एक रुप ही माना गया। शेक्सपियर के नाटक और अन्य कवियों के कार्यों ने इस दिन को और भी ज्यादा खास बनाया , उनके शब्दों ने इसे प्यार का दिन बताया और तारीफ बहुत ही खूबसूरती से की।
पुराने समय में इस दिन लोग गिफ्ट के तौर पर कैंडी , फूल और लाल गुलाब दिया करते थे , और उससे खूबसूरती और प्यार का प्रतीक भी मानते थे। पहले तो यह दिन सिर्फ यूनाइटेड स्टेट, ब्रिटेन , कनाडा , ऑस्ट्रेलिया , मेक्सिको , साउथ कोरिया , फ्रांस जैसे देशों में ही प्रचलित थे , लेकिन अब भारत में भी इसे बहुत ही ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है।