आलू से बने दूध में हैं ढेर सारे फायदे, घर पर बनाना भी है बहुत आसान

Gaurav Sharma
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लाइफस्टाइल, डेस्क रिपोर्ट। आलू की सब्जी, आलू के पराठे, आलू बड़े- आलू से जो बन जाए वो अधिकांश लोगों को पसंद आ ही जाता है। क्या आप जानते हैं इसी आलू से दूध भी बनाया जा सकता है? सुनकर या पढ़कर चौंकिए नहीं, ये बिलकुल सही बात है कि आलू से भी दूध बनाया जा सकता है। प्लांट बेस्ड ऑल्टरनेटिव्स के चलन में आने के बाद आलू का दूध भी तेजी से चलन में आ रहा है। काजू, बादाम, सोयाबीन के मुकाबले आलू से बना दूध सस्ता भी होता है। आसानी से बन भी जाता है साथ ही ढेरों गुणों से भी भरपूर होता है।

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इसके नाम से ही जाहिर है पोटेटो मिल्क आलू से बनता है जिसे मीठे, कम मीठे या फीके फ्लेवर में तैयार किया जा सकता है। हालांकि अभी इंडियन मार्केट में आलू का दूध लॉन्च नहीं हुआ है लेकिन आप घर पर इसे आसानी से बना सकते हैं।

ऐसे बनाएं पोटेटो मिल्क
आप अपने पसंद के फ्लेवर और न्यूट्रिशन्स के साथ आलू का दूध बनाकर तैयार कर सकते हैं। इस दूध को बनाने के लिए आप आलूओं को उबाल लें, आलू उबालते समय उस में बादाम, थोड़ा सा नमक या शहद मिक्स कर सकते हैं, बादाम की जगह आप कोई और भी ड्राईफ्रूट मिला सकते हैं। ये सभी चीजें अच्छे से उबल जाएं तब इन्हें ठंडा होने के बाद ब्लेंड कर लें। आप अपनी पसंद का कोई भी फ्लेवर इसमें मिला सकते हैं। जब स्मूद ब्लेंड तैयार हो जाए तब उसे छान लें और फ्रीज में रखें।

पोटेटो मिल्क के फायदे
पोटेटो मिल्क के जरिए कैल्शियम, विटामिन डी, बी 12 और राइबोफ्लेविन मौजूद होता है, ये ग्लूटन फ्री डाइट में शामिल होता है जिससे मोटापे का डर नहीं होता। हालांकि इसमें प्रोटीन की मात्रा कुछ कम होती है इसलिए पोटेटो मिल्क तभी यूज करने की हिदायत भी दी जाती है जब दूध से किसी तरह की एलर्जी हो।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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