नीमच, कमलेश सारडा। Neemuch News गुप्ता नर्सिंग होम पर अपेंडिक्स के आपरेशन में एनेस्थीया का ऐसा डोज दिया कि एक माह से बालक बेहोश है मरीज के पिता ने कलेक्टर मयंक अग्रवाल को इसकी शिकायत की जिसके बाद कलेक्टर ने पांच चिकित्सकों का दल गठित कर जांच के दिए आदेश। बतादें कि शहर के गुप्ता नर्सिंग होम एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। अपेंडिक्स के ऑपरेशन से पहले डॉक्टर ने बालक को बेहोश किया था। एनेस्थीया का ऐसा डोज दिया कि एक माह तक मरीज बेहोश है।
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उदयपुर के निजी अस्पताल में 15 वर्षीय बालक जिंदगी और मौत् के बीच संघर्ष कर रहा है। डॉ. संजय गुप्ता ने गलत उपचार ना हो इसकी जिम्मेदारी लेते हुए बालक के इलाज में लगने वाले समस्त खर्चे को उठाने की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन डा. गुप्ता द्वारा अब इनकार कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में मरीज के परिजनों में आक्रोश है। शुक्रवार को बालक के पिता बंशीलाल बंजारा निवासी सावनकुंड ने कलेक्टर मयंक अग्रवाल को शिकायत की और डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। कलेक्टर श्री अग्रवाल ने जांच के लिए 5 सदस्यीय डॉक्टर गठित करने की बात की है।
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पीडित शिकायतकर्ता बंशीलाल पिता सद्दारामजी बंजारा, निवासी सावनकुण्ड जिला नीमच ने शिकायत में डॉक्टर गुप्ता पर कई गंभीर आरोप लगाए है। शिकायत में उल्लेख किया गया कि वे अपने पुत्र अरूण (15 वर्ष) का अपेंडिक्स का ऑपरेशन करवाने हेतु गुप्ता नर्सिंग होम, नीमच में भर्ती करवाया था। ऑपरेशन के पूर्व चिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता द्वारा प्रार्थी के पुत्र को एनेस्थीसिया दिया था किंतु चिकित्सक द्वारा पूर्ण रूप से लापरवाही करते हुए एनेस्थीसिया की अतिरिक्त डोज देने के कारण प्रार्थी के पुत्र का रक्तचाप काफी कम होने लगा, उस समय चिकित्सक द्वारा ऑक्सीजन देकर रक्तचाप नियंत्रण किया तथा रक्तचाप नियंत्रण होने के उपरांत प्रार्थी के पुत्र की स्थिति ऑपरेशन योग्य नहीं होने के उपरांत भी चिकित्सक द्वारा ताबड़तोड़ तरीके से प्रार्थी के पुत्र का ऑपरेशन कर दिया, जिसके बाद पुनः प्रार्थी के पुत्र का रक्तचाप कम होने लगा।
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तब चिकित्सक द्वारा प्रार्थी के पुत्र के ऑक्सीजन देने के उपरांत भी रक्तचाप नियंत्रित नहीं होने पर चिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता द्वारा प्रार्थी से कहा कि आपके पुत्र की स्थिति खराब हो रही है, आप इसे उदयपुर या अन्य किसी अच्छे चिकित्सालय में ले जाओ। तब प्रार्थी द्वारा डॉ. गुप्ता से काफी विनय अनुनय किया कि बच्चे का ऑपरेशन आपके द्वारा ही किया गया है, इस कारण आप भी हमारे साथ चलिए। तब काफी विनय अनुनय के बाद डॉ. गुप्ता प्रार्थी के साथ जाने को राजी हुए। इसके उपरांत प्रार्थी एम्बूलेंस की व्यवस्था कर अपने पुत्र को उचित उपचार हेतु उदयपुर स्थित जे. के. पारस चिकित्सालय में लेकर गया, जहां प्रार्थी के पुत्र को भर्ती कर उसका उपचार आरंभ किया गया। डॉक्टर गुप्ता ने अरूण के उपचार में लापरवाही को मानते हुए कहा कि जो भी खर्चा आएगा, उसका भुगतान उसके द्वारा किया जावगा।
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इसलिए उस वक्त डॉक्टर के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की गई। डॉक्टर द्वारा चार लाख रूपए का भुगतान जे के पारस अस्पताल को किया गया, लेकिन बाद में हाथ खडे कर दिए। वर्तमान में पुत्र का वर्तमान समय में भी उदयपुर के चिकित्सालय में उपचार जारी है तथा उपचार में नियमित रूप से राशि खर्च हो रही है। चूंकि प्रार्थी भूमिहीन व्यक्ति है तथा प्रार्थी की आय का कोई स्थाई स्त्रोत भी नहीं है। ऐसी स्थिति में चिकित्सालय का खर्च वहन करने में असमर्थ होने के कारण प्रार्थी द्वारा डॉ. गुप्ता के मोबाईल पर फोन लगाकर उपचार की शेष राशि की मांग की तो
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डॉ. गुप्ता ने प्रार्थी के साथ गाली गलौज कर अभद्र एवं अशोभनीय व्यवहार करते हुए प्रार्थी को धमकी दी कि उनकी काफी राजनैतिक पहुंच है तथा उनके पास काफी रूपया भी है, वे अपने ऊपर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने देंगे और प्रार्थी के पुत्र के उपचार की शेष राशि भी प्रार्थी को नहीं देंगे, साथ ही यह भी धमकी दी कि तुझसे जो हो सके वह कर लेना और जहां शिकायत करना हो कर लेना। प्रार्थी का पुत्र 29 अप्रैल से आज तक बेहोशी की अवस्था मे जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।