पतंग की डोर थामने के चक्कर में टूटी 8 साल के मासूम की जिंदगी की डोर, कुएं में डुबने से मौत

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से एक दिलदहलाने वाला मामला सामने आया है,जिसमें एक 8 साल के बच्चे की कुएं में गिरने से मौत हो गई है। 8 साल का मासूम पतंग उड़ा रहा था, इसी दौरान वो कुएं में गिर गया और डूबने से उसकी मौत हो गई।

दरअसल, पूरा मामला भोपाल के अब्बास नगर का है। घटना को लेकर गांधी नगर थाना प्रभारी ने कहा कि 8 साल का अरहान अब्बास नगर का रहने वाला है, जो फिलहाल पढ़ाई नहीं कर रहा था पर वो अपने पिता के साथ किराने की दुकान पर बैठता था।

अरहान रविवार की सुबह अपने साथियों के साथ राजीव गांधी कॉलेज के पास पतंग उड़ाने गया था। पतंग उड़ाने के दौरान ही अरहान ध्यान नहीं दे पाया और कुएं में गिर गया। जिसके बाद उसके साथियों ने तत्काल मोहल्ले में आकर पूरी घटना के बारे में बताया। परिजन को जानकारी लगते ही वो तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। परिजन ने तुरंत उसे कुएं से बाहर निकाला और इलाज के लिए अस्पताल लेकर गए जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

बता दें कि अरहान तीन भाई बहनों में सबसे छोटा था। मिली जानकारी के अनुसार वो स्कूल नहीं जाता था। वहीं पूरी घटना को लेकर उसके परिजनों ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं चला की अरहान कब खेलने निकल गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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