स्वसहायता समूह की महिलाओं का अनोखा प्रदर्शन, गले में फांसी का फंदा डालकर पहुंची बैतूल कलेक्ट्रेट

Gaurav Sharma
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बैतूल,वाजिद खान। जिले में स्वसहायता समूह की महिलाओं का लगभग 6 माह से  मानदेय न मिलने के कारण  करीब एक सैकड़ा महिलाएं गले मे फांसी का फंदा डालकर अनोखा प्रदर्शन करते हुए रैली  निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंची। जंहा उन्होंने तहसीलदार को अपनी समस्या बताते हुए ज्ञापन सौंपा।शासकीय विद्यालयों में बच्चों के लिए स्व सहायता समूह की महिलाओं से भोजन बनवाया जाता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के दौरान लॉक डाऊन के बाद से 6 माह से इन समूह की महिलाओं को वेतन नहीं दिया गया। वेतन नहीं मिलने से महिलाओं को अपना जीवन यापन करना मुश्किल हो रही है।

स्वसहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि मप्र शासन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मध्यान भोजन बनने  समूह बनाया, लेकिन अब समूह की सदस्यों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है क्योंकि लॉक डाऊन के बाद से वेतन नहीं दिया गया। वहीं शिक्षकों को वेतन बराबर दिया जा रहा है। इनका वेतन नहीं काटा गया है। हम समूह की महिलाएं बराबर स्कूल जा रहे है। वहां साफ सफाई कर रही है  एवं बाग बगीचों को तैयार कर रही है। इसके साथ ही बच्चों को राशन बांटने गांव गांव जा रही है वो भी स्वयं के खर्चे से और इतना ही नहीं शासन इन महिलाओं की समस्याओं से मुह मोड़ता नजर आ रहा है। समूह की महिलाओं ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन शासन को सौपा है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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