आगर मालवा। गिरीश सक्सेना
मप्र सरकार द्वारा किसानों को वितरित ऋण में संस्थाओं द्वारा किए गए फर्जीवाड़े की जांच के आदेश के बाद मप्र सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ के प्रदेश प्रवक्ता रामचंद्र शर्मा का स्पष्टीकरण आया है ।
पत्रकारों को जारी किए गए इस स्पष्टीकरण में प्रदेश प्रवक्ता ने एमपी ऑनलाइन पोर्टल को इस पूरी गलतफहमी के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए बताया है कि उन्होंने शासन के आदेश पर 12/12/18 तक किसानों को दिए गए मूल ऋण, ब्याज और योग के अलग अलग कालम पोर्टल पर भेजे थे पर ऑनलाइन पोर्टल ने इन अलग अलग कालम की जगह सिर्फ योग के कालम दिखाते हुए सूची जारी कर दी है जिसे बाद में पंचायतों में चस्पा किया गया था ।
चूंकि पंचायत में चस्पा की गई सूची में ब्याज की राशि अलग से नहीं दिख रही है। साथ ही चस्पा सूची में सिर्फ 31/3/18 तक कि स्थिति का ही उल्लेख है ऐसे में इस तिथि के बाद हुए लेनदेन का इसमे उल्लेख नही हुआ है। इसके चलते ही अधिकांश जगह किसानों के मन में भ्रम की अप्रिय स्थिति बन रही है जिसके चलते कृषि प्राथमिक सहकारी संस्थाओं को बदनामी का सामना करना पड़ रहा है । प्रदेश प्रवक्ता ने पोर्टल की गलती से संस्थाओं की साख पर लग रहे धब्बे के लिए पोर्टल की निंदा भी की है ।
साथ ही कुछ ऐसे प्रकरण जिनमे किसान द्वारा ऋण नही लेने या ऋण पहले ही जमा करने के बाद भी किसान का नाम सूची में आने या लिए गए वास्तविक कर्ज से तीन तीन गुना अधिक कर्ज दिखने के सवाल पर प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि मप्र शासन ने पहले ही इसके लिए हरे, सफेद और गुलाबी फार्म की व्यवस्था की है यदि किसी किसान को कोई शिकायत है तो वह गुलाबी फार्म भर सकता है जिस पर उस प्रकरण की जांच हो जाएगी और उसका उचित निराकरण हो जाएगा ।
हम आपको बता दे कि मप्र सरकार द्वारा पंचायतों में चस्पा करवाई गई किसान ऋण सूची के बाद उजागर हुए इस फर्जीवाड़े की जांच कराने और दोषियों पर कार्यवाही करने के आदेश जारी करने के बाद महासंघ का यह स्पस्टीकरण आया है । मप्र शासन द्वारा की जा रही किसानों की ऋण माफी की इस प्रक्रिया के बीच ऋणी किसानों की सूची चस्पा होने के बाद किसानों के सामने आई इस गंभीर समस्या को लेकर एमपी ब्रेकिंग ने 18 जनवरी को सबसे पहले आगर मालवा जिले की सुदवास संस्था के साथ ही बाद में प्रदेश के कई और जगह हुए इस प्रकार के प्रकरणों को लेकर प्रमुखता से समाचार दिखा चुका है और अब मप्र शासन द्वारा इन प्रकरणों को गंभीरता से लेने के बाद मप्र सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ ने भी अपनी साख पर लग रहे दाग को देखते हुए इस प्रकार से अपना स्पस्टीकरण जारी किया है ।