EMPLOYMENT : लॉकडाउन में नौकरी छूटी तो शुरु किया स्टार्ट अप, अब ऐसे हो रही आमदनी

Pooja Khodani
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अलीराजपुर, यतेन्द्र सिंह सोलंकी। भारत (India) में लॉकडाउन (Lockdown) के चलते न जाने कितने युवाओं (Youth) की नौकरी (job) चली गई और वे बेरोजगार होकर रोजगार की तलाश में जुटे है, लेकिन मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले (Alirajpur District) के एमबीए (MBA Student) पास दो दोस्त  तुषार तवर और स्वप्निल पवार जिन्होंने हार नहीं मानी और खुद का ही स्टार्ट अप (Startup) शुरु किया। दोनों ने कुछ कर गुजरने की ठानते हुए अपने घर की छत को ही खेत बना दिया और एक अच्छी आमदनी का जरिया खोज लिया।

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कहते है न अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जूनून होतो इंसान कुछ भी कर सकता है, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है अलीराजपुर के दो दोस्तों ने जिन्होंने अपने घर की छत को ही खेत (farm) बना दिया। तुषार तवर एमबीए करके नौकरी की तलाश में लगा हुआ था वही स्वप्निल पवार का लॉक डाउन के कारण जॉब(JOB) चला गया था ।

इन दोनों दोस्तों ने नोकरी की काफी तलाश करी लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा फिर इन्होंने जुगाड़ कर अपने घर की छत को ही खेत बना दिया और हाईड्रोपोनिक फार्मिंग तकनीक (Hydroponic farming technique) की मदद से खेती करना शुरू कर दिया। अब ये दोनों दोस्त अपनी जुगाड़ फार्मिंग से स्ट्रोबेरी, भिन्डी, शिमला मिर्च आदि उगाकर अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा कमा रहे है।

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ये दोनों दोस्त दिनभर यूं भी बेकार घुमा करते थे और इनको ये अच्छा नहीं लगा और दोनों ने सोचा कुछ किया जाए और मानो इनकी किस्मत साथ दे रही थी। इस दौरान इनकी पहचान के एक व्यक्ति ने कहा की तुम दोनों हाईड्रोपोनिक फार्मिंग करो लेकिन सबसे बड़ी समस्या ये थी की इनके पास कोई जमीन नहीं थी और ये उदास हो गए, लेकिन इन्होने हार नहीं मानी और हाईड्रोपोनिक फार्मिंग कैसे की जाती पहले इसके बारे में सीखा और फिर दोनों दोस्तों ने जुगाड़ शुरू की  ।

दोनों ने अपने मकान की छत के टेरिस को तेयार किया और जुगाड़ करने लगे पाइप इधर उधर से फार्मिंग करने के सामान को जुगाड़ा और छत पर फार्मिंग करना शुरू किया। इन्होने सबसे पहले शिमला मिर्च उगाई और उसके बाद भिन्डी और अभी स्ट्रोबेरी लगाई। अब ये दोनों दोस्त अच्छी खासी आमदनी कमा रहे है और दुसरे युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुके है। अब ये दोनों दोस्त चाहते है की इन जैसे देशभर में जो भी बेरोजगार युवा (Unemployed youth)है उनको इस प्रकार की फार्मिंग करना सिखाये ताकि वो आत्मनिर्भर बन सके, वही लोगो तक ऑर्गेनिक फूड (Organic food) लोगो को खाने को मिल सके।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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