बालाघाट, सुनील कोरे। मोदी सरकार द्वारा पारित किये गये तीन कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में बालाघाट मुख्यालय में किसानों और युवाओं द्वारा 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर तिरंगा रैली निकाली गई। कोसमी के एफसीआई गोदाम से दोपहर 1 बजे प्रारंभ हुई ट्रेक्टर तिरंगा रैली सरेखा, हनुमान चौक, सर्किट हाउस रोड से आंबेडकर चौक होते हुए काली पुतली चौक से पुनः आंबेडकर चौक, सर्किट हाउस रोड, हनुमान चौक होते हुए वापस प्रारंभ स्थल पर पहुंचकर समाप्त हुई। इस रैली में जहां किसान और युवा मौजूद थे, वहीं किसान परिवार की महिलाओं ने भी रैली में शामिल होकर अहम भूमिका निभाई। रैली में लगभग तीन सैकड़ा ट्रेक्टर और बड़ी संख्या में किसान, युवा, महिलायें शामिल थी।
रैली में गहमागहमी का माहौल देखने को मिला। सबसे पहले हनुमान चौक में मार्ग को लेकर ट्रैक्टर तिरंगा रैली निकाल रहे किसान और युवाओं के साथ पुलिस की तीखी बहस हुई। जिसके बाद अंबेडकर चौक से रैली के वापस लौटने पर प्रदर्शनकारियों ने आंबेडकर चौक से काली पुतली चौक तक रैली ले जाने की कोशिश की तो भी पुलिस और रैली में शामिल लोगों के बीच तनातनी रही। हालांकि दोनों ही जगह पुलिस ने बातचीत से माहौल संभाल लिया। रैली का आयोजन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा। इस दौरान रैली की सुरक्षा में पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहित सीएसपी, बालाघाट अनुविभाग के थाना प्रभारी और पुलिस बल भारी संख्या में मौजूद रहा।
मोदी सरकार वापस ले कृषि कानून- गुड्डु नगपुरे
दिल्ली में कृषि बिल के समर्थन में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में निकाली गई ट्रैक्टर तिरंगा रैली की अगुवाई कर रहे युवा नेता गुड्डु नगपुरे ने कहा कि कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में बालाघाट में ट्रैक्टर तिरंगा रैली निकाली गई है जिसमें किसान और किसान परिवार के युवा शामिल हुए। मोदी सरकार जो कृषि कानून लेकर आई है, वह किसानों को बंधुआ मजदूर और पूंजीपतियों को लाभ देने वाला बिल है। इस बिल के पूरी तरह से लागू हो जाने के बाद देश के किसान के पास न तो खेती बचेगी और न जमीन। जिसे वापस लेने के लिए पूरी ठंड में किसान दिल्ली में आंदोलन में डटा है, लेकिन केन्द्र की सरकार तानाशाही रवैया दिखा रही है। बालाघाट से भी किसानों के समर्थन की आवाज दिल्ली तक पहुंचे, इसी मंशा से गणतंत्र दिवस पर ट्रेक्टर तिरंगा रैली निकाली गई। हमारी मांग है कि किसानों का शोषण और दमन करने वाले पारित किये गये तीनो कृषि कानून को सरकार वापस ले।
किसानों की अनदेखी कर रही सरकार- कंकर मुंजारे
दिल्ली में आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में जिले के किसानों द्वारा मुख्यालय में गणतंत्र दिवस पर निकाली गई ट्रेक्टर तिरंगा रैली में शामिल पूर्व सांसद कंकर मुंजारे, पूर्व विधायक मधु भगत, लोधी महासभा के जिलाध्यक्ष उम्मेद लिल्हारे ने कहा कि किसानों की भलाई के नाम पर किसानों का शोषण करने मोदी सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई है, जिसे किसान वापस लेने की मांग कर रहा है। लेकिन दो महीने से आंदोलन कर रहे किसानों की मांग को अनसुना कर सरकार किसानों की उपेक्षा कर रही है। नेताओं ने कहा कि यह पहली सरकार है, जिसने किसानों का शोषण करने वाला बिल लेकर आई है, जिससे साफ है कि देश की मोदी सरकार किसान हितैषी नहीं बल्कि पूंजीपतियों की सरकार है और अपने पूंजीपति साथियों को खुश करने के लिए वह यह बिल लेकर आई है, जिसको लेकर पूरे देश का किसान आंदोलित है।
सरकार ने नहीं मानी मांग तो घर घर से निकलेंगे किसान- सौरभ लोधी
युवा नेता सौरभ लोधी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानून बिल के खिलाफ न केवल दिल्ली की बॉर्डर पर बल्कि पूरे देश में किसान आंदोलित है, सरकार के इस काले कृषि कानून के खिलाफ आज पूरे देश के अलग-अलग जगह में दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में ट्रेक्टर रैली निकाली जा रही है। इसी कड़ी में बालाघाट में भी किसानों और किसान परिवार के युवाओं द्वारा ट्रेक्टर तिरंगा रैली निकाली गई थी। जिसमें बड़ी संख्या में ट्रेक्टरों के साथ किसान और युवा शामिल थे। उन्होंने कहा कि यदि सरकार किसानों की मांगो पर ध्यान नहीं देती तो आगामी समय में काले कृषि कानून बिल के खिलाफ घर-घर से किसान और युवा सड़क पर उतरकर आंदोलन के लिए बाध्य होगा, जिसे सरकार भी संभाल नहीं सकेगी।
रैली में यह रहे उपस्थित
केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में मुख्यालय में निकाली गई ट्रेक्टर तिरंगा रैली में युवा नेता गुड्डु नगपुरे, उदयसिंह नगपुरे, शेषराम राहंगडाले, सुखदेवमुनी कुतराहे, राजेश मरार, विवेक पटेल, भोरसिंह मोहारे, सहेजलाल उपवंशी, कालु बीडीसी, जुगल शर्मा, श्याम पंजवानी, शिव मोहारे, डाली दमाहे, चंद्रशेखर नगपुरे, दिलीप उपवंशी, श्रीमती अनुसुईया नगपुरे, अनुराग चतुरमोहता, संतोष लिल्हारे, अंशुल अवस्थी, श्रीमती रचना लिल्हारे, गंगाप्रसाद लिल्हारे, रामभाऊ पंचेश्वर, मिकेश माहुले, चित्रेश पंवार, सुभाष पारधी, गजेन्द्र देशमुख, हेमंत नगपुरे, लाखन राणा, प्रकाश बनोटे, सुरेन्द्र लिल्हारे, पन्नालाल कुतराहे, दुर्गा पगरवार, राजकुमार नागेश्वर, अमित लिल्हारे, कृपाल लिल्हारे, इंदु लिल्हारे, सिकेश मोहारे, चंद्रेश मोहारे, प्रकाश मोहारे, जयकृष्ण ढिंगरू, शिबु विश्वकर्मा, महेश सहारे, धर्मेन्द्र कुरील, शोएब कुरैशी, जुनेद खान, खेललाल रनगिरे, चिंटु ठाकुर, रवि लिल्हारे, संतोष नाई, राजकुमार लिल्हारे, गोलु लोधी, कपूर लिल्हारे, कुमन महाजन, भागवत पांचे, दिलीप लिल्हारे, जितेन्द्र टेंभरे, गजेन्द्र सौलखे, दिनेश राणा, थानसिंह बिसेन, आंेमकार रनगिरे, भोजलाल गहगहे, कमलेश मेश्राम, कमलेश बघेल, मुकेश पटले, पारस ढेकवार, नंदकिशोर ढेकवार, अनवर भायजान, दिपेश मोहारे, राधे नगपुरे, रमेश यादव, धरम लिल्हारे, राकेश लिल्हारे, पितम लिल्हारे, अनिल बनोटे सहित बड़ी संख्या में किसान, युवा और महिलायें मौजूद थी।