बालाघाट, सुनील कोरे| किसानों (Farmers) से फसल बीमा (Crop Insurance) के नाम पर कुछ अंशदान जमा कराया जाता है और कुछ सरकार (Government) बीमा कंपनियों को जमा करती है, ताकि प्राकृतिक आपदा में किसान की फसल खराब होने पर उसे उसके नुकसान की भरपाई हो सके। हालांकि प्रति हेक्टेयर के अनुसार कराये जाने वाले फसल बीमा को लेकर किसानों से राशि तो हजारो में ली जाती है लेकिन फसल बीमा के भुगतान के दौरान किसानों को दी जाने वाली राशि उंट के मुंह में जीरे जैसी होती है, पहले तो अमूमन फसल बीमा की राशि मिलने ही किसानों को सालो लग जाते है और जब कभी फसल बीमा की राशि आती भी है तो वह राशि इतनी कम होती है कि किसान फसल बीमा के नाम पर स्वयं को ठगा महसुस करता है, हालिया वर्षो पहले खराब फसल की जो बीमा राशि किसानांे को जिले में मिली है, वह किसान की फसल बीमा राशि से कई गुना कम है, जिसको लेकर किसानों ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। किसानों और विपक्षियों का आरोप है कि फसल बीमा के नाम से किसानों से हजारों रूपये लेकर सरकार इंश्युरेंस कंपनी का फायदा पहुंचा रही है, फसल बीमा में किसानों को कम राशि मिलने से किसानों की नाराजगी जायज है।
पूर्व कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन (Gaurishankar Bisen) भी स्वीकारते है कि फसल बीमा में विसंगति है, जिसमें संशोधन की आवश्यकता है। केन्द्र सरकार द्वारा पारित किये गये कृषि अध्यादेश के समर्थन में प्रेस से चर्चा कर रहे पूर्व कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने स्वीकारा कि फसल बीमा में विसंगति है, जिसके कारण किसानों को फसल बीमा का जो उचित लाभ मिलना चाहिये, वह नहीं मिल पा रहा है, उन्होंने फसल बीमा में संशोधन की वकालत करते हुए कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी कह चुके है, जिनकी बात को ही वह आगे बढ़ा रहे है। जिस तरह आरबीसी 6-4 में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा से नुकसान पर एक निश्चित राशि से कम राशि नहीं दी जायेगी, उसी तरह फसल बीमा में भी इसी तरह का संशोधन करने का प्रयास किया जा रहा है कि किसानों को फसल बीमा की एक निश्चित रकम दी जाये।
हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ किसान ऐसे हो सकते है जिन्हें फसल बीमा की राशि कम मिली है लेकिन वह उदाहरण नहीं है, किसानों को फसल बीमा देने के लिए सरकार ने किसानों को 4 हजार 640 करोड़ रूपये की राशि फसल बीमा के रूप में दी है। जहां फसल बीमा को लेकर विपक्ष सवाल खड़े कर रहे थे, वहीं भाजपा के पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने भी यह स्वीकार किया है कि फसल बीमा में विसंगति है और उसमे संशोधन की आवश्यकता है, जिसको लेकर विपक्ष ने हमला बोला है कि जो बात हम सालों से कह रहे है उसे आज स्वयं भाजपा के पूर्व कृषि मंत्री ने स्वीकार कर उसे सच साबित कर दिया है। बहरहाल अब देखना है कि प्रदेश में कृषि मंत्री रहते हुए चार बाद प्रदेश को कृषि कर्मण पुरस्कार दिलाने वाले पूर्व कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन के फसल बीमा में विसंगति को लेकर सरकार कैसे इस विसंगति को दूर करने का काम करके, किसानों के लिए आखिर कौन सी निश्चित दर तय करती है, जिससे किसानों को फसल बीमा का उचित लाभ मिल सकें।