ई-रिक्शा की ट्रेनिंग लेकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही महिलाएं, रक्षिका शौर्य शक्ति फाउंडेशन दे रहा निःशुल्क ट्रेनिंग

Amit Sengar
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Balaghat News : मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में घरेलू हिंसा और गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में रक्षिका शौर्य शक्ति फाउंडेशन काम कर रही है। इसी कड़ी में बीते 24 जनवरी बालिका दिवस से फाउंडेशन, गरीब और हिंसा से पीड़ित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनमें आत्मविश्वास पैदा करने निःशुल्क ई-रिक्शा ट्रेनिंग की शुरूआत की थी। जिसका शुभारंभ कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा द्वारा किया गया था।

महिलाएं और युवती ने ली ट्रेनिंग

15 दिनों की यह ट्रेनिंग 10 फरवरी को पूरी होने जा रही है, इस ट्रेनिंग के दौरान ई-रिक्शा की ट्रेनिंग ले रही महिला रोमा गुप्ता, आशा नामदेव, युवती स्वाति सहारे में गजब का आत्मविश्वास नजर आ रहा है, खाली मैदान से ट्रेनिंग की शुरूआत करने वाली महिलाएं और युवती आज पूरी तरह से प्रशिक्षित होकर सड़कों पर ई-रिक्शा चलाने में माहिर हो गई है।

ई-रिक्शा की ट्रेनिंग ले रही घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला रोमा गुप्ता ने बताया कि ट्रेनिंग से ई-रिक्शा चलाने में अब उनका आत्मविश्वास बढ़ गया है। अब वह बिना किसी डर के ई-रिक्शा चला सकती है। इस प्रशिक्षण से वह अपने रोजगार की तलाश करेगी और प्रयास करेगी कि शासन की मदद से ई-रिक्शा लेकर वह आत्मनिर्भर बन सके। ट्रेनिंग ले रही आर्थिक रूप से कमजोर युवती स्वाति सहारे ने बताया कि रक्षिका शौर्य फाउंडेशन द्वारा उन्हें 24 जनवरी से लगातार ई-रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग दिलवाई जा रही है। युवतियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में रक्षिका शौर्य शक्ति फाउंडेशन का यह कदम अच्छा है। गरीब युवतियों को यह प्रशिक्षण सम्मान के साथ अपने पैरो पर खड़े होने का यह एक सशक्त माध्यम हैं। मुझे खुशी है कि मैं इस ट्रेनिंग का हिस्सा हूँ।

महिलाएं खुद के पैरो पर खड़े हो इसे ध्येय से काम रहा फाउंडेशन – जयश्री सोनवाने

रक्षिका शौर्य शक्ति फाउंडेशन अध्यक्ष जयश्री सोनवाने ने बताया कि फाउंडेशन ने घरेलू हिंसा से पीड़ित और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ई-रिक्शा ट्रेनिंग की पहल शुरू की। जिसमें फाउंडेशन द्वारा दो महिलाओं और युवती को 15 दिन की ट्रेनिंग प्रदान की जा रही है। जिसमें ट्रेनिंग ले रही महिलाएं और युवती ई-रिक्शा चलाने में पूरी तरह से प्रशिक्षित हो गई है। फाउंडेशन का ध्येय ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि वह सम्मानपूर्वक जीवन जी सके। हमारा प्रयास होगा कि प्रशासन के सहयोग से हम ई-रिक्शा प्राप्त कर इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की मुहिम को और आगे बढ़ाकर अन्य जरूरतमंद महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर सके। ताकि वह समाज में अपनी मेहनत से एक नया मुकाम हासिल कर सके।

बालाघाट से सुनील कोरे की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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