बड़वाह, बाबूलाल सारंग। बड़वाह (barwaha) के वनमण्डल कार्यालय (forest department office) को पुनः खरगोन वनमण्डल (khargone) में मर्ज किए जाने का निर्णय शासन स्तर पर हो गया है। अतः अब बड़वाह का वनक्षेत्र औऱ सम्पूर्ण वन विभाग की व्यवस्था खरगौन वन मण्डल के अधीन पूर्व की तरह होगी। अतिरिक्त वित्तीय भार को कम करने के चलते यह निर्णय लिया गया है। DFO कार्यालय का सारा कामकाज खरगौन से होगा। और यहां मौजूद उनके कार्यालय का दफ्तर, अमला, बाबू और संसाधन खरगोन जाएंगे। किन्तु DFO के अधिनस्त गौण और मौन पड़ा रहने वाला सहायक वन मण्डल कार्यालय यथावत रहेगा। जंगलों की सुरक्षा में कोई कमी आवेगी इसकी संभावना नहीं है।
DFO दफ्तर में पदस्थ लोग मैदानी कार्य जैसे जंगलों की सुरक्षा, पौधारोपण, वनोपज संग्रहन का कार्य खुद नहीं करते। तकनीकी दृष्टि से, आधुनिक संसाधनों से आनलाइन कार्य से खरगौन में बैठकर DFO बड़वाह अपने विभागीय SDO के माध्यम से वन विभाग के सभी कार्यों को निष्पादित कर सकते हैं। जैसे पुलिस, राजस्व, शिक्षा, आबकारी, जैसे अनेक विभागों में खरगौन जिला मुख्यालय से सभी विभागों की मॉनिटरिंग होती है। यह भी ठीक वैसा ही हो जाएगा। यह मुद्दा भी विचारणीय है कि जब ऐसे बदलावों के प्रस्ताव मंगवाए जाते हैं तब सरकारें अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से उनके विचार क्यों नहीं पूछती है।
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1984 में मौजूदा हालात और विपरीत परिस्थितियों में तत्कालीन सरकार और जनप्रतिनिधियों द्वारा जमीनी हालात से लड़ने के लिए किये गए निर्णयों को अब परिस्थितियों के सामान्य हो जाने पर रद्द किया जाना औऱ व्यवस्थाओं को पुर्ववत किया जाना गलत है या सही है इसका आंकलन सभी अपने अपने नजरिये से करेंगे। देखना है कि मौजूदा सरकारों के इस फैसले पर अब के जन प्रतिनिधियों का आंकलन, मशवरा औऱ निर्णयों का रुख किस दिशा में जाता है।