बैतूल : बडोरा मंडी में रखी हजारों बोरे मक्का बारिश से भीगा, व्यापारियों का हुआ नुकसान

Amit Sengar
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बैतूल,वाजिद खान। बैतूल में शनिवार की देर रात बेमौसम बारिश होने के कारण किसानों और व्यापारियों की मुसीबत बढ़ गई है। कृषि उपज मंडी बडोरा के खुले प्रांगण में व्यापारियों के रखे हजारों बोरे मक्के के गीले हो गए ।

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बैतूल के बडोरा में कृषि उपज मंडी प्रांगण में खुले में रखे मक्के की बोरे बारिश से गीले हो गए हैं। इसमें कुछ किसानों के थे और ज्यादातर बोरे व्यापारियों के थे। बताया जा रहा है कि लगभग 30 हजार बोरे मक्के के गीले हो गए हैं जो कि व्यापारियों के थे। खरीद होने के बाद गोदाम में रखने के लिए ट्रांसपोर्ट की तैयारी थी लेकिन बारिश होने से अनाज मक्का गीली हो गई है। इससे बड़ा नुकसान हुआ है, क्योंकि मक्का गीली होने के बाद उसमें फंगस लग जाती है और बारदाना भी सड़ जाता है ।

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व्यापारी प्रमोद अग्रवाल का कहना है कि व्यापारियों के लिए मंडी प्रांगण में पर्याप्त सुविधा नहीं है जबकि 14 एकड़ की मंडी में 4 एकड़ में सब्जी मंडी लगने के कारण व्यापारियों और किसानों के लिए सिर्फ 10 एकड़ मंडी प्रांगण बचता है। सब्जी मंडी होने के कारण काफी दिक्कत हो रही है ट्रांसपोर्ट करने में भी दिक्कत हो रही है और रेक नहीं मिलने के कारण भी मक्का समय पर नहीं उठ पाता है। प्रशासन ने मंडी के जो शेड हैं उसमें किसानों का ही अनाज रखने की व्यवस्था की है। व्यापारियों का माल शेड के बाहर ही रखा जाता है। मंडी की व्यवस्था को लेकर किसी का ध्यान नहीं है।

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किसान संतोष राठौर का कहना है कि वे 20 बोरे मक्का लाए थे लेकिन किन्हीं कारणों बस बेच नहीं पाए और वह गीली हो गई है। बारिश में ज्यादातर व्यापारियों की मक्का गिरी हुई है और उनका नुकसान ज्यादा हुआ है।

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मंडी निरीक्षक बीआर कापसे का कहना है कि मक्का की अच्छी आवक है और प्रतिदिन 30 हजार से ज्यादा बोरे की आवक होती है। शुक्रवार को किसानों की मक्का की तौल हो चुकी थी और शनिवार को मंडी बंद थी। मंडी प्रांगण में व्यापारियों की मक्का रखी थी जो बारिश के कारण भीग गई है। कुछ व्यापारियों ने चौकडे पर पॉलिथीन डाल रखी थी और जिन्होंने नहीं ढकी थी उनके मक्के के बोरे गीले हो गए हैं।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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