खबरें दिखाई तो चप्पलों से पिटाई! भिंड एसपी असित यादव पर पत्रकारों के गंभीर आरोप, डॉ गोविंद सिंह ने की जांच की मांग

पीड़ित पत्रकार शशिकांत अपने अन्य पीड़ित साथी पत्रकारों के साथ डीजीपी से मिलने भोपाल पहुंचे, उन्होंने कहा कि मेरे पास परिवार का फोन आया कि पुलिस तलाश रही है, मेरे खिलाफ झूठे केस लगाने के लिए एसपी कुछ लोगों से आवेदन मंगा रहे हैं, मुझे डर है एसपी मेरी हत्या करवा सकते हैं

Bhind News : पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा खम्बा कहा जाता है, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के साथ पत्रकारिता ही वो स्तम्भ है जो समाज में संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन मध्य प्रदेश के भिंड जिले में पत्रकारों के साथ एसपी ने अपने साथियों के साथ जो किया वो ना सिर्फ शर्मसार करने वाला है बल्कि लोकतंत्र के लिए चिंता में डालने वाला भी है, ये मामला पत्रकारों की पिटाई से जुड़ा है और आरोप पुलिस अधीक्षक और उनके अन्य अधिकारियों पर लगे हैं, पत्रकारों ने कहा है कि उन्हें भय है कि एसपी उनकी हत्या करवा सकते हैं, इन्होंने अपने परिवारों को भी भिंड से कहीं दूर भेज दिया है।

1 मई को श्रमिक दिवस था और आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस है, दोनों ही दिन पत्रकारों के लिहाज से महत्वपूर्व है क्योंकि पत्रकार भी एक श्रमिक ही है जो समाज के लिए श्रम करता है लेकिन भिंड में समाज के इस चौथे स्तंभ के साथ जो बर्बरतापूर्ण व्यवहार हुआ वो निंदनीय है साथ ही विचारणीय भी है, आरोप है कि इन पत्रकारों द्वारा लगाई गई ख़बरें एसपी असित यादव को पसंद नहीं आई तो उन्होंने इन पत्रकारों को चाय पर ऑफिस बुलाया और फिर उनके साथ कई थानों के टी आई और अन्य स्टाफ के साथ चप्पलों से पिटाई की।

आधी रात को पत्रकारों के घर जाकर मोबाइल में कैद घटना के सबूत मिटाने के आरोप  

आरोप ये भी है कि जब कुछ पत्रकारों ने एसपी और उनके साथियों की इस घटना की शिकायत कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से की तो एसपी और आक्रोशित हो गए और आधी रात को कई थानों का फ़ोर्स भेजकर उन पत्रकारों के साथ भी मारपीट की गई , उनके मोबाइल में मौजूद सबूतों को डिलीट कर दिया गया, हालाँकि पत्रकारों के पास कुछ सबूत ऐसे थे जो पुलिस से बच गए जो पुलिस पर लग रहे आरोपों को प्रमाणित कर रहे हैं खास बात ये भी है कि जी पत्रकारों की पिटाई की गई उसमें दलित पत्रकार भी शामिल हैं।

भयभीत पत्रकारों को अपनी हत्या का भय, भिंड से किया पलायन 

उधर भयभीत पत्रकारों ने अपने परिवारों को भिंड से बाहर भेज दिया है पुलिस की बर्बरता के शिकार दो पत्रकारों ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ के एडिटर इन चीफ वीरेंद्र शर्मा को अपनी आपबीती सुनाई, उन्होंने कहा एसपी के हमें चाय पर बुलाया और फिर चप्पलों से पिटाई की, हमारे साथ जो एसपी ने किया उससे हमें अब ये डर सता रहा है कि हमारी हत्या भी हो सकती है, पत्रकारों ने कहा कि हमें कभी इतना डर डकैतों से नहीं लगा जितना अब भिंड पुलिस से लग रहा है, भिंड एसपी कुछ भी करा सकते हैं।

डॉ गोविंद सिंह ने घटना की निष्पक्ष जाँच की मांग की  

पत्रकारों के साथ हुए व्यवहार पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने कड़ा ऐतराज जताया है उन्होंने इस घटना को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला बताया है, उन्होंने कहा पत्रकारों को चप्पलों से सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने पुलिस की अवैध वसूली और अन्य कृत्यों की ख़बरें दिखाई थी और चैनल पर चलाई, अब ये पत्रकार भिंड से जान बचाकर भाग चुके है, गोविंद सिंह ने सीएम डॉ मोहन यादव से इस घटना की निष्पक्ष जाँच की मांग की है उन्होंने कहा यदि रक्षक ही भक्षक बन जायेंगे तो आम जनता की रक्षा कौन करेगा।  उन्होंने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

RSS प्रचारक सुरेश यादव के साथ पिटाई के मामले में हटाये जा चुके हैं एसपी असित यादव 

बहरहाल पत्रकरों के साथ पिटाई की ये घटना चिंता में डालने वाली है, आज देश और दुनिया में निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकरिता की दुहाई दी जाती है लेकिन यदि अपने खिलाफ ख़बरें सामने आने पर कोई पुलिस अधिकारी इतना उत्तेजित हो जायेगा कि पत्रकारों को चाय पर ऑफिस बुलाकर उसे पुलिस अधिकारियों से पिटवाएगा तो इसे दबंगई ही कहा जायेगा, गौर तलब है कि एसपी असित यादव बालाघाट में RSS प्रचारक सुरेश यादव के साथ पिटाई के मामले में चर्चित रहे  है जिसपर उन्हें जिले से हटाया भी गया था।

 

 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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