भोपाल। भिंड लोकसभा को लेकर मामला अटका हुआ है। यहां से कांग्रेस की तरफ से देवाशीष जरोनिया का नाम सामने आया तो उसका विरोध होने लगा था, यही कारण है कि अभी तक भिंड से भी कांग्रेस प्रत्याशी घोषित नहीं कर सकी है। सूत्र का कहना है कि मामला दो गुटों के बीच फंस गया है, क्योंकि फूल सिंह बरैया को डॉ. गोविंद सिंह पहले ही मुख्यमंत्री के सामने कांग्रेस में शामिल करा चुके हैं, ऐसे में अशोक अर्गल को कांग्रेस में आने का मामला टिकट को लेकर अटक गया है।
दिल्ली में भिंड के नामों को लेकर भी चर्चा हो चुकी है, लेकिन जिस तरह से गुटीय राजनीति कांग्रेस के अंदर टिकट वितरण को लेकर चल रही है उसको देखते हुए कोई फैसला नहीं हो पा रहा है। एक गुट ग्वालियर से अशोक सिंह के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है, इसी कारण से भिण्ड पर उसी गुट ने ब्रेक लगा दिया है। इसके पीछे कारण यह है कि आखिर में एक गुट कांग्रेस हाईकमान के समक्ष यह बात रख सकता है कि अंचल की चार में से एक सीट पर तो हमारे किसी समर्थक को मौका दिया जाए। मुरैना में सिंधिया समर्थक रामनिवास रावत का टिकट फाइनल होने के बाद रविवार को जिस तरह से मुरैना में कांग्रेसियों की बैठक में दो गुटों के बीच जमकर लात-घूंसे चले उसके बाद बचाव के लिए पुलिस को आना पड़ा जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के अंदर विरोध करने वालों की कोई कमी नहीं है।
इंदौर व विदिशा को लेकर होने लगी चर्चा
अंचल में ग्वालियर, भिण्ड के साथ ही गुना सीट पर भी कोई फैसला नहीं हो सका है, जबकि गुना को लेकर तो कोई विरोध भी नहीं है। अब इसे कांग्रेस की रणनीति कही जा सकती है कि गुना में सिंधिया का नाम अभी तक रोक रखा है। राजनीतिक हलको में इस बात की चर्चा होने लगी है कि कांग्रेस इस बार सिंधिया का दांव इंदौर व विदिशा सीट पर लगा सकता है, ऐसे में गुना से उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे को मैदान में उतारा जा सकता है, इसी कारण से उनके नाम को फिलहाल रोके रखा है।