भिण्ड –
प्रदेश के डीजीपी बीके सिंह आज दोपहर हेलीकॉप्टर से भिण्ड पहुंचे और यहां पहुंचकर जिले भर के पुलिस अधिकारियों के साथ जिला पंचायत सभागार में बैठक की। उन्होंने मीडिया के माध्य्म से प्रदेश के मतदाताओं से आह्वान किया कि वे निर्भीक होकर करें मतदान, इस हेतु हमने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त पूरे प्रदेश भर में किए गए हैं, हमारी पुलिस पूरी तरह से रहेगी मुस्तैद है, चूंकि चंबल अंचल ज्यादा सेन्स्टिव है इसलिए यहां र ज्यादा फोर्स की तैनाती मतदान केंदों पर की जा रही है। ज्ञात हो कि चंबल के भिंड में सर्वाधिक लगभग 1480 मतदान केंद्रों में से 556 से अधिक 40% क्रिटिकल बूथ बनाये गए हैं।
डीजीपी श्री सिंह दोपहर 1:10 पर भिंड पहुंचे और करीब 2 घंटे रुकने के बाद हेलीकॉप्टर से रवाना हो गए। यहां पर जिला पंचायत सभागार में पुलिस अधिकारियों की बैठक ली जिसमें सभी को भयमुक्त और हिंसा रहित मतदान कराने के निर्देश अधिनस्थओं को दिए। डीजीपी श्री वीके सिंह के साथ चंबल कमिश्नर एम के अग्रवाल, चंबल आईजी संतोष सिंह, कलेक्टर भिंड धनराजू एस व पुलिस अधीक्षक रुडोल्फ अल्वारेस मुख्य रूप से मौजूद रहे । पुलिस अधिकारियों के साथ जो बैठक करीब 40 मिनट चली। इस बैठक की खास बात यह रही कि डीजीपी बीके सिंह से कहीं अधिक पुलिस के अधिकारियों की कमिश्नर एम के अग्रवाल के द्वारा इस बात को लेकर खिंचाई की गई कि उन्होंने ऐसे कम लोगों को चिन्हित किया है जो कि मतदान केंद्रों पर हिंसा या उत्पाद कर सकते हैं श्री एमके अग्रवाल के मुताबिक ऐसे लोगों की संख्या और अधिक होनी चाहिए थी जिससे की चंबल अंचल में या भिंड में किसी भी प्रकार की छुटपुट हिंसा की भी कोई आशंका न निर्मित हो सके। यहां डीजीपी श्री सिंह के द्वारा पुलिस अधिकारियों को यह भी हिदायत दी गई कि किसी भी कीमत पर किसी भी मतदान केंद्र पर गोलीबारी जैसी घटना नहीं होनी चाहिए इसके लिए पहले से ही बडी एहतियात बरतनी होगी।
*अटेर उपचुनाव में पुलिस के माथे पर लगा था कलंक*
मीडिया के द्वारा डीजीपी बीके सिंह से जब यह सवाल किया गया की अटेर उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग को अटेर के सात में से छह थानो के थाना प्रभारियों को पोल डे के दिन ही बदलना पड़ा था और थाने की जिम्मेदारी 1 दिन के लिए जिले में पदस्थ तत्कालीन आईएएस और अन्य राजस्व अधिकारियों को सौंपी गई थी। जिससे यहां पर चुनाव के दौरान पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया था । हालांकि चुनाव आयोग के द्वारा हटाए गए एसडीओपी सहित सभी थाना प्रभारियों को मध्य प्रदेश सरकार ने यहां पर चुनाव के बाद पुनः पदस्थ कर दिया था लेकिन बाद में एक पत्रकार की सड़क दुर्घटना में सदिग्ध मौत हो जाने के आरोप जब एसडीओपी पर लगे तो यहां से एसडीओपी को हटा दिया गया था।