भोपाल।
प्रदेश का खजाना खाली है और अगले महिने 10 से 12 हजार अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त होने वाले है, सरकार द्वारा कर्मचारियों-अधिकारियों के रिटामेंट पर 3500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार का आंकलन किया गया है । अगले महिने प्रदेश का बजट भी पेश किया जाना है और किसानों की कर्जमाफी भी अधर में लटकी हुई है। ऐसे में सरकार के सामने भुगतान का संकट खड़ा हो गया है।
दरअसल, मार्च के अंत में प्रदेश के करीब 10 से 12 हजार अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त होने जा रहे है।ऐसे में जहां अधिकारी वर्ग को रिटायरमेंट पर 80 लाख से 1 करोड़ रुपए और कर्मचारी को 25 से 30 लाख रुपए तक का भुगतान करना पड़ेगा। इस पर 3500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार का आंकलन किया गया है, वो भी ऐसे में जब प्रदेश का खजाना खाली है। हालांकि पिछली सरकार के सामने जब ये संकट आया था तो उन्होंने कर्मचारी-अधिकारियों की रिटायरमेंट की उम्र बढा दी थी।तत्कालीन भाजपा सरकार ने 31 मार्च 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच होने वाले रिटायरमेंट पर रोक लगा दी थी। तब रिटायरमेंट की आयु 60 से 62 साल की गई थी।
अब ये अवधि पूरी होने वाली है और मार्च में कर्मचारी-अधिकारी रिटायर हो रहे है, ऐसे में प्रदेश की कमलनाथ सरकार भी पशोपेश में पड़ गई है और नए जुगत लगाने में जुट गई है। खबर है कि सरकार में सेवानिवृत्ति के विकल्पों पर विचार चल रहा है। इसमें कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद 6 महीने या 1 साल की संविदा नियुक्ति दे दी जाए, जिससे रिटायरमेंट पर होने वाले भुगतान से फिलहाल बचा जा सके। चुंकी अगले महिने सरकार को बजट पेश करना है, प्रदेश में आईफा अवार्ड होना है और कर्जमाफी समेत अन्य योजनाओं का क्रियान्यन अलग।
सेवानिवृत्ति पर 22 साल पहले भी बने थे ऐसे ही हालात
इसी तरह के हालात 22 साल पहले बने थे जब 1996 में शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 साल कर दी थी। सरकार को कर्मचारियों के रिटायरमेंट पर एकमुश्त भुगतान की इस स्थिति का सामना 31 मार्च 2021 में भी करना पड़ेगी, जब 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 के बीच करीब 15 हजार कर्मचारी एक साथ रिटायर होंगे। उस दौरान भी 35000 करोड़ रुपए का एक साथ भुगतान करना पड़ेगा। इस बढ़े हुए खर्चे का इस साल इंतजाम होना मुश्किल है।