आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के लिए जिला सागर, बैतूल, दमोह सिंगरौली में नहर प्रणाली विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजनाएं स्वीकृत की गई थी, जो निर्माणधीन है, इन परियोजनाओं में नियमानुसार बांध बनाने के उपरांत नहर प्रणाली विकसित करने के लिए सामग्री क्रय करना था, परंतु जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कंपनियों ने नहर प्रणाली में लगने वाली पाइप आदि सामग्री बांध निर्माण के पूर्व ही क्रय कर ली तथा भुगतान प्राप्त कर लिया और सामग्री की कीमत करोड़ों रुपए बताई गई है।
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इस नहर प्रणाली से सागर, दमोह, सिंगरौली जैसे अंतरराष्ट्रीय वाले क्षेत्रों में किसानों को नहर के माध्यम से सिंचाई की सुविधा पहुंचाने का शासन का ध्येय है, ईओडब्ल्यू द्वारा इस प्रकरण की प्रारंभिक जांच के दौरान जल संसाधन विभाग की महत्वपूर्ण दस्तावेजों को एकत्रित कर विश्लेषण किया गया तथा सभी संबंधित शासकीय अधिकारियों से पूछताछ की गई जांच में उक्त अधिकारियों द्वारा भुगतान से संबंधित स्थिति स्पष्ट नहीं की जा सकी व भ्रष्टाचार के आरोप में मामला पंजीबद्ध किया गया।
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मिली जानकारी के अनुसार बताया गया है कि सिर्फ तीन परियोजनाओं में 479 करोड़ का भुगतान किया गया है, बता दें कि यह पहला केस है, जिसमें अपराध दर्ज करने से पहले शासन द्वारा अनुमति प्रदान की गई, हनौता बांध पाइप नहर प्रणाली निर्माण सागर, बंडा बांध सागर, गोंड बांध सिंगरौली, निरुगुढ़ बांध बैतूल, घोंघरी बांध बैतूल, वर्धा बांध बैतूल, सीतानगर बांध दमोह के निर्माण कार्य व पाइप नहर प्रणाली में गड़बड़ी मिली है। भुगतान वर्ष 2018-19 के बीच किया गया है, इन परियोजनाओं का कार्य अभी अधूरा है। अधिकतर एजेंसियां काम छोड़कर जा चुकी हैं।