भोपाल। प्रदेश में सत्ता बदलते ही भाजपा के मीडिया विभाग की तेवर ठंडे पड़ गए हैं। पिछले कुछ दिनों से हालात यह है कि न तो नेताओं की भीड़ उमड़ रही है और न हीं प्रवक्ताओं के बयान आ रहे हैं। प्रदेश कार्यालय में सन्नाटे जैसी स्थिति बन रही है। खासकर पार्टी के प्रवक्ता एवं मीडिया पेनालिस्टों ने कार्यालय से दूरी बना ली है। जबकि पार्टी हाईकमान अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने का फरमान जारी कर चुका है। भाजपा की मीडिया सेल में हालात यह हैं कि प्रवक्ता इक्का-दुक्का ही दिखाई देते हैं। कुछ प्रवक्ता सिर्फ टीवी चैनलों तक ही सिमट कर रह गए हैं।
भाजपा में मीडिया विभाग में प्रवक्ता एवं पेनालिस्टो की लंबी फौज है। इसके बावजूद भी प्रवक्ताओं की पार्टी कार्यालय में रुचि नहीं है। विधानसभा चुनाव के बाद से कईप्रवक्ता तो कार्यालय ही नहीं पहुंचे है। जबकि विधानसभा चुनाव से पहले तक भाजपा की मीडिया सेल में खासी गहमागहमी रहती थी, चुनाव बीतने के बाद पार्टी प्रवक्ता एवं नेता घर बैठ गए हैं। हालांकि प्रदेश कार्यालय में आए दिन कार्यक्रम होते रहते हैं, जिनमें पहले की अपेक्षा काफी कम संख्या में कार्यकर्ता सिमट गए हैं। सत्ता परिवर्तन से पहले इन्हीं कार्यक्रमों में खचाखच भीड़ जमा रहती थी।
भोपाल के नेता भी नहीं दिखते
भाजपा प्रवक्ताओं में आधा दर्जन करीब राजधानी भोपाल में ही निवास करते हैं। इनमें मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय, सांसद आलोक संजर, रजनीश अग्रवाल, हिदायतुल्लाह, राहुल कोठारी के नाम शामिल हैं। जबकि सह प्रवक्ता संजय खोचे भी स्थानीय निवासी है। इसके बावजूद भी इनमें से ज्यादातर नेता दिखाई नहीं देते हैं। आलोक संजर संसद सत्र की वजह से पिछले कई दिनों से दिल्ली में बिजी थे। मुख्य दीपक विजयवर्गीय कार्यालय में समय दे रहे हैं। जबकि अन्य प्रवक्ता सिर्फ बड़े नेताओं के पहुंचने पर ही कार्यालय में नजर आते हैं।
यह है मीडिया पदाधिकारियों की टीम
संवाद प्रमुख लोकेन्द्र पारासर, सह संवाद प्रमुख संजय खोचे, उदय अग्रवाल एवं सर्वेश तिवारी के नाम शामिल हैं। जबकि प्रवक्ताओं की टीम में मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय, सांसद आलोक संजर, चिंतामणि मालवीय, नागर सिंह चौहान, रजनीश अग्रवाल, राजो मालवीय, हिदायतुल्लाह शेख, राहुल कोठारी, उमेश शर्मा, राजपाल सिंह सिसौदिया के नाम शामिल हैं।
पेनालिस्ट और प्रवक्क्ताओं में फूट
्रभोपाल में पेनालिस्ट एवं प्रवक्ताओं के बीच खींचतान चल रही है। दरअसल इन दिनों प्रवक्ताओं को टीवी पर ज्यादा दिखने की होड़ है। यही वजह है कि विधानसभ चुनाव से पहले जो नेता पार्टी कार्यालय में दिखाई देते थे, उन्होंने कार्यालय से दूरी बना ली है। वे सिर्फ टीवी पर दिखाई देते हैं। खास बात यह है कि टीवी पर दिखने के लिए पेनालिस्ट और प्रवक्ताओं में फूट है।
25 दिन में होटल का किराया 65 लाख
मप्र भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान राजधानी के होशंगाबाद रोड स्थित होटल को किराए पर लिया था। पार्टी कार्यालय में मीडिया संवाद से जुड़ी सभी तरह की व्यवस्थाएं होने के बावजूद भी राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा की जिद की वजह से होटल किराए पर लिखा। पार्टी सूत्रों के अनुसार होटल का 25 दिन का भुगतान 65 लाख करीब किया गया था।