भोपाल। विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद मप्र भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। यही वजह है कि प्रदेश नेताओं के बीच गुटबाजी सामने आने लगी है। हाल ही में हटाए गए 11 जिलों के अध्यक्षों को इसी गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि इस कार्रवाई के पीछे लोकसभा चुनाव प्रभारी सतीश उपाध्याय और स्वतंत्र देव सिंह द्वारा हाईकमान को दिए गए फीडबैक को बताया जा रहा है। इतना ही नहीं चुनाव से पहले भाजपा में बड़ा बदलाव भी हो सकता है या फिर चुनाव के दौरान बड़े नेताओं के अधिकारों में कटौती हो सकती है।
लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा हाईकमान ने स्वतंत्र देव सिंह और सतीश उपाध्याय को मप्र में तैनात किया है। पिछले एक महीने के भीतर ये दोनों नेता प्रदेश भर का भ्रमण कर संगठन के मौजूदा हालात की रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को भेज चुके हैंं। इसी रिपोर्ट के आधार पर मप्र भाजपा में जिला, संभाग एवं प्रदेश स्तर पर बदलाव होने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव की रणनीति हाईकमान बना रहा है। प्रदेश स्तर पर अभी तक चुनाव को लेकर कोई बड़ी बैठक नहीं हुई है। न ही इस तरह की बैठक का कोई कार्यक्रम है।
चुनाव में साइड रहेंगे स्थानीय नेता
लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रबंधन से लेकर मीडिया की जिम्मेदारी दिल्ली के नेताओं के हाथ में रहेगी। जिस तरह से विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया की जिम्मेदारी राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को सौंपी गई थी, उसी तरह लोकसभा चुनाव में भी यह जिम्मेदारी बाहरी नेता को सौंपी जा सकती है। वहीं चुनाव प्रबंधन एवं अन्य तरह की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी बाहरी नेताओं को सौंपी जाएगी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रदेश नेताओं को चुनाव प्रबंधन, मीडिया एवं अन्य दायित्व सौंपे जाएंगे, लेकिन हाईकमान द्वारा भेजे गए नेताओं को रिपोर्ट देनी होगी।
बारीकी से नजर रख रहा हाईकमान
हाईकमान के पास यह रिपोर्ट पहुंच चुकी है कि मप्र भाजपा के नेताओं की आपसी गुटबाजी की वजह से लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसके लिए तर्क दिए गए हैं कि अभी तक मप्र भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले कोर कमेटी या प्रदेश कार्यसमिति की एक भी बैठक नहीं बुला पाई है। ऐसे में पार्टी हाईकमान चुनाव में टिकट चयन से लेकर चुनावी रणनीति पर खुद फैसला लेगा। इसमें मप्र भाजपा के नेताओं का ज्यादा दखल नहीं रहेगा।
जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में सामने आई गुटबाजी
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने हाल ही में 11 जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नए सिरे से की है। भोपाल शहर जिलाध्यक्ष की कमान शिवराज सिंह चौहान के करीबी सुरेन्द्र नाथ सिंह को हटाकर विकास वीरानी को सौंपी गई है। जब विकास अपनी नियुक्ति के बाद प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह से आशीर्वाद लेने आए उसी समय सुरेन्द्र नाथ सिंह अपने समर्थकों के साथ शिवराज के घर पर नाराजगी जाहिर कर रहे थे। इस नियुक्ति से भाजपा नेताओं की गुटबाजी सामने आई है। खास बात यह है कि संगठन की बैठकों से शिवराज को पूरी तरह से किनारे कर दिया है।