MP Election 2023 : मप्र विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी भी ताल ठोक रही है, पार्टी की नजर भाजपा और कांग्रेस से बगावत कर आ रहे बड़े नताओं और विधायकों पर भी है, पार्टी ने एक नई सूची जारी की है जिसमें 9 प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं इसमें एक ऐसे विधायक का नाम भी शामिल है जिसका टिकट भाजपा ने काट दिया, उसे बीएसपी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
बीएसपी ने जारी की 9 प्रत्याशियों की 13वीं सूची, दो टिकट बदले
बीएसपी ने बीती रात मप्र विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तेरहवीं सूची जारी की, इस सूची में 9 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई है, सूची में पार्टी ने अपने दो प्रत्याशियों को बदला है इसमें एक सीट भिंड है और दूसरी ग्वालियर है, भिंड में पार्टी ने भाजपा छोड़कर घर वापसी करने वाले विधायक संजीव सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है पहले यहाँ से रक्षपाल सिंह को पार्टी ने टिकट दिया था वहीँ ग्वालियर विधानसभा सीट से पप्पन यादव की जगह बीएसपी ने अब मनोज शिवहरे को प्रत्याशी बनाया है।
भाजपा ने भिंड विधायक का टिकट काटा, बीएसपी ज्वाइन की
आपको बता दें कि भिंड विधानसभा सीट से भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक संजीव सिंह कुशवाह का टिकट काट दिया जिसके बाद उन्होंने बगावत कर दी, उनके समर्थकों ने जमकर हंगामा किया, फिर संजीव सिंह कुशवाह ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को अपना इस्तीफा भेज दिया, इसके बाद में बीएसपी ने उनसे संपर्क किया, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने संजीव को पार्टी में वापस लेने के लिए स्वीकृति दे दी , बता दें कि संजीव सिंह कुशवाह पहले बीएसपी में थे लेकिन पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली थी।
विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने भाजपा पर लगाया विश्वासघात करने का आरोप
विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने भाजपा नेताओं की बातों में आकर उनपर विश्वास किया था लेकिन उन लोगों ने अपना वादा पूरा न करते हुए विश्वासघात किया, क्योंकि वे बहुजन समाजवादी पार्टी से चुने गए थे, यदि उन्हें टिकट नहीं देना था तो फिर वादा भी नहीं चाहिए था। संजीव सिंह का कहना है कि भाजपा की वादा खिलाफी की वजह से न सिर्फ़ उन्हें दुख हुआ बल्कि उनके समर्थक 70, हज़ार वोटर ख़ासकर वो 60 हज़ार बहनें जिन्होंने उन्हें राखी बाँधी थी और वह युवा साथ ही और बुजुर्ग जो उन्हें अपना मानते थे उन्हें गहरा आघात पहुँचाया , इन सभी ने उनसे कहा कि “संजू तुम्हें चुनाव लड़ना है, चाहे निर्दलीय ही क्यों ना लड़ो” उनके इस विश्वास के चलते ही दोबारा चुनाव लड़ने का फ़ैसला लिया, और इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी उन्हें भारतीय जनता पार्टी में जाने की गलती को माफ़ कर दिया और एक बार फिर उन पर विश्वास जताया।