भोपाल।
लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने फैसला किया है कि वह 800 प्रति क्विंटल की दर से प्याज खरीदने वाले व्यापारियों को परिवहन और भंडारण पर आने वाले खर्च का 75 फीसदी तक अनुदान देगी। सरकार ने ‘मुख्यमंत्री प्याज प्रोत्साहन’ योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत सरकार किसानों को 800 रुपए प्रति क्विंटल का रेट दिलवाएगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किसानों से पूरा प्याज एक साथ नहीं बेचने की अपील की है। पिछले दो साल से प्याज राज्य सरकार के लिए समस्या बनी हुई है।सरकार के फैसले के बाद किसानों में खुशी की लहर है।
दरअसल, प्याज की आवक होने पर मध्यप्रदेश की मण्डियों में भाव गिर जाते हैं परन्तु देश की अन्य बड़ी मण्डियों जैसे दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, कोलकाता और रांची में अच्छे भाव मिलते हैं। इसलिये सरकार ने फैसला लिया है कि जो व्यापारी, किसानों से 800 रूपये प्रति क्विंटल से अधिक दर पर प्याज खरीद कर प्रदेश के बाहर की मण्डियों में बेचेंगे, उन्हें परिवहन और भण्डारण पर होने वाले खर्चों का 75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जायेगा। किसानों को प्याज का उचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री प्याज प्रोत्साहन योजना की मंजूरी दी है। योजना में राज्य की सहकारी विपणन समितियों, कृषक उत्पादक सगठनों, राज्य के सार्वजनिक उपक्रम, निजी संस्थाओं और व्यापारियों को इस बात के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा कि वे किसानों से 800 रूपये प्रति क्विंटल से कम कीमत में प्याज न खरीदे। साथ ही राज्य की सहकारी विपणन समितियों अथवा कृषक उत्पादन संगठन द्वारा यदि किसानों से ली गई प्याज का प्रदेश के बाहर विक्रय का काम किया जाता है, तो उन्हें परिवहन और भण्डारण पर होने वाले खर्चों की शत-प्रतिशत पूर्ति की जायेगी। इस सबके बावजूद यदि मई और जून माह में बाजार में कीमतें 800 रूपये प्रति क्विंटल से नीचे जाती हैं, तो जो पंजीकृत किसान इस अवधि में प्याज बेचेंगे उन्हें निर्धारित मण्डियों के मॉडल विक्रय भाव और 800 रूपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य के बीच के अंतर की राशि सीधे उनके बैंक खाते में जमा की जायेगी।
कमलनाथ ने किसानों से की अपील
इसके साथ ही मुख्यमंत्री कमल नाथ ने किसानों से अपील की है कि वे एक साथ सारा प्याज बाजार में विक्रय के लिये न लायें जिससे उसके मूल्य पर अनावश्यक दबाव न पड़े। उन्होंने कहा कि किसान फसल आवक के समय जितने पैसे की उस समय आवश्यकता हो, उस मान से ही प्याज का विक्रय करें। किसान शेष उत्पादित प्याज का भण्डारण कर सकते हैं। इससे मण्डियों में प्याज के भाव नहीं गिरेंगें और किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा।
गौरतलब है कि प्रदेश में प्याज की बंपर पैदावर के बावजूद किसानों को प्याज के उचित दाम नही मिल रहे थे। जिसके चलते प्रदेश में किसानों का आक्रोश बढ़ने लगा था। किसान सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे, प्याज सड़कों पर फेंकी जा रही थी। वही बीजेपी भी किसानों के साथ मिलकर सरकार की जमकर घेराबंदी करने में जुटी हुई है। शनिवार को बीजेपी ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ धिक्कार आंदोलन किया था। इन तमाम कारणों के काऱण प्रदेश का किसान फिर सरकार के खिलाफ होने लगा था जिसके चलते सरकार ने आनन-फानन में ये फैसला ले लिया।