भोपाल।
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भाजपा-कांग्रेस ने कमर कस ली है और अभी से ही रणनीतियों पर पार्टी नेता मंथन-चिंतन कर रहे हैं।इसी बीच भाजपा-कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह इस बार विधायकों को लोकसभा का टिकट नही देगी। इसके लिए सभी विधायकों को भी साफ शब्दों में कह दिया गया है कि वे टिकट के लिए मांग ना करे और ना ही किसी प्रकार का दबाव बनाए।इसके पीछे विधानसभा में पूर्ण बहुमत ना मिलना बताया जा रहा है।चुंकी कांग्रेस ने गठबंधन से सरकार बनाई है और भाजपा को पूर्ण बहुमत नही मिला है।
दरअसल, इस बार विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नही मिला है। 230 सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटों औऱ भाजपा को 109 सीटे मिली है। वही सपा को एक , बसपा को दो और चार निर्दलीय विजयी हुए है। कांग्रेस ने यहां सपा, बसपा और निर्दलीयों के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई है। ऐसे में एक भी सीट कम होती है तो सरकार पर खतरा मंडरा सकता है। ऐसे में यदि कोई विधायक सांसद बना तो उसकी सीट पर उपचुनाव कराना पड़ेगा। हालांकि इस फैसले से मंत्री की दौड़ में शामिल कांग्रेस विधायकों में निराशा है। क्योंकि ऐसे विधायक अब सांसद बनने की चाह रख रहे थे।ऐसे में उनका सांसद बनने का सपना टूटता हुआ नजर आ रहा है।
इधर, बीजेपी का कहना है कि हम चाहते हैं कि विधायक विधानसभा में अपना परफॉर्मेंस दिखाएं, तो कांग्रेस का कहना है कि इस संबंध में फैसला हाईकमान ही लेगा।वही दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनावों को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। जहां दिल्ली में राहुल गांधी ने देशभर के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्षों से चुनावों को लेकर चर्चा की। वही अमित शाह और मोदी भी रणनीति बनाने में लगे हुए है। इस दौरान लोकसभा चुनावों में कांग्रेस विधायकों को सांसद का टिकट देने पर भी विचार किया गया।