अंतिम चरण में इन सीटों पर बीजेपी के बागी बने कांग्रेस की ‘ताकत’

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भोपाल। मध्य प्रदेश में चौथा और अंतिम चरण का दौर 19 मई को हेना है। प्रदेश की शेष आठ सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने हैं। इनमें से रतलाम झाबुआ सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। दोनों दलों के दिग्गजों ने अपनी ताकत झोंक दी है। मालवा निमाड़ को साधने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी जैसे दिग्गज चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है। लेकिन इसके अलावा पार्टी को बीजेपी के बागियों पर भी भरोसा है। इन आठ में से कई सीटों पर बीजेपी ने नए चेहरों को मैदान में उतारा है। जिस कारण पार्टी के अंदर भितरघात का खतरा पनप रहा है जिसका फायदा कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है। 

अंतिम चरण के लिए मालवा क्षेत्र की 8 सीटों देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन, खंडवा में वोट जाले जाएंगे। कांग्रेस के पास सिर्फ रमतलाम झाबुआ सीट है, पार्टी मंदसौर, खंडवा और धार सीट पर भी जीत का दावा कर रही है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि आठ में से सिर्फ रतलाम सीट को छोड़ कर बाकी सीटें बीजेपी का अभेद गढ़ रही हैं। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव की फिज़ा बदली है। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में जनता का साथ मिला है। यही कारण है कि कांग्रेस को यहां जीत की उम्मीद है। मालवा में इस बार दोनों दलों के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा लगने वाला है। 

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भोपाल के बाद इंदौर हाट सीट

अंतिम चरण में इंदौर हाट सीट में तब्दील हो चुकी है। कांग्रेस यहां जीत का दावा कर रही है। बीजेपी ने इस सीट पर वर्तमान सांसद सुमित्रा महाजन का टिकट काट दिया है। उनकी जगह शंकर लालवानी को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं, उनके सामने कांग्रेस के पंकज सिंघवी को टिकट दिया गया है। इस सीट पर मराठी वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। पार्टी के फैसले से ताई और भाई दोनों ही अलग हो गए हैं। 

खंडवा में कांग्रेस उम्मीदवार अरुण यादव कुछ हद तक पार्टी की अंदरुनी गुटबाजी पर लगाम कसने में सफल रहे हैं. लेकिन बीजेपी उम्मीदवार और सांसद नंदकुमार सिंह के सामने पार्टी की गुटबाजी पहले की तरह मौजूद है. वहीं, मंदसौर में कांग्रेस ने फिर मीनाक्षी नटराजन पर दांव लगाया है. जबकि बीजेपी ने सांसद सुधीर गुप्ता को यहां से दोबारा उम्मीदवार बनाया है. उज्जैन, देवास और धार में भी चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है. कांग्रेस को जहां बीजेपी की अंदरुनी कलह का फायदा मिलने की उम्मीद लगाई बैठी है, वहीं बीजेपी को उम्मीद है कि उसे नए चेहरों का फायदा मिलेगा।


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