भोपाल| बुंदेलखंड के वरिष्ठ साहित्यकार कैलाश मड़वैया को शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर देश के सबसे बड़े पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। वर्तमान में कैलाश मड़वैया लंबे समय से भोपाल में रह कर बुंदेली भाषा के लिए काम कर रहे है। कैलाश मड़वैया वर्तमान में अखिल भारती बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद के अध्यक्ष है। मड़वैया को 26 जनवरी को शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। शासकीय सेवा में रहने के दौरान लोकायुक्त पुलिस में उन्हें ग्वालियर में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। बाद में वे इस मामले में बरी हो गए थे।
रिश्वतकाण्ड का यह मामला 25 साल पुराना है, जब वह सहकारिता विभाग में संयुक्त पंजीयक, ग्वालियर में पदस्थ थे| तब लालचंद झा नामक व्यक्ति ने ज्योति प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी भंडार ग्वालियर के खिलाफ राशन की कालाबाजारी करने की शिकायत की। उन्होंने भंडार संचालक के पक्ष में फैसला करने के लिए 5 हजार रुपए की राशि मांगी। लोकायुक्त पुलिस ने 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए जैन को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। बाद में फरियादी के बयान पलटने से जैन बरी हो गए थे। मड़वैया का कहना है कि उनके खिलाफ कुछ लोगों ने झूठी शिकायत की थी। इस मामले में वह बरी हो गए थे|
कैलाश मड़वैया को यह सम्मान मिलने पर जिले के साहित्यकारों ने उन्हें बधाईयां दी है। शिक्षा और साहित्य का प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ सम्मान मिलने के बाद कैलाश मड़वैया का कहना है कि वह सरकार से मांग करते है कि जल्द ही बुंदेलखण्ड और बुंदेली के विकास के लिए काम किया जाए। उनका कहना था कि अभी राजनैतिक कारणों के चलते देश की 22 भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। जबकि बुंदेली और भोजपुरी जो देश की सबसे बड़ी क्षेत्रीय भाषाएं, उन्हें इसमें शामिल नही किया गया।