Sat, Dec 27, 2025

एम्स भोपाल में हुई आहार नली के निचले हिस्से के ट्यूमर की जटिल सर्जरी

Written by:Sushma Bhardwaj
Published:
एम्स भोपाल में हुई आहार नली के निचले हिस्से के ट्यूमर की जटिल सर्जरी

BHOPAL AIIMS NEWS :  एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह हमेशा ही यहाँ के डॉक्टर्स को नई-नई चुनौतियाँ स्वीकार करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। इसी कड़ी में हाल ही में एम्स भोपाल में एक दुर्लभ ऑपरेशन के द्वारा आहार नली और अमाशय के जोड़ पर स्थित लगभग 10 सेमी x 10 सेमी x 8 सेमी आकार के विशाल ट्यूमर को निकाल कर मरीज को एक बेहतर जीवन प्रदान किया गया।

तकलीफों से जूझ रहा था मरीज 

दरअसल 34 वर्षीय महिला पिछले दो सालों से खून की उल्टी और पेट दर्द से परेशान थी। उसने शहर के अन्य अस्पतालों भी जाँच कराई थी जहाँ उसे बताया गया कि उसके भोजन की नली और पेट के बीच में एक बड़ा ट्यूमर है। एम्स अस्पताल के कैंसर विभाग में आहार नली एवं अमाशय की एंडोस्कोपी जाँच करने पर, आहार नली के निचले हिस्से में कई उभार पाये गये। इन उभारों से बायोप्सी करने पर उसमें आहार नली का ‘लेयोमयोमा’ का पता लगा। छाती एवं पेट का कंट्रास्ट सीटी स्कैन करने पर आहार नली के निचले हिस्से एवं आहार नली और अमाशय के जोड़ पर ट्यूमर पाया गया जो लीवर के बाएँ हिस्से से चिपका हुआ था। चूँकि यह गठान एक प्रकार का बिनाइन अथवा सौम्य प्रकृति का ट्यूमर था इसलिए, एम्स के कैंसर सर्जरी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ अंकित जैन ने इसके ऑपरेशन का निर्णय लिया, जो इस प्रकार के ट्यूमर का एकमात्र इलाज था।

हुआ मेजर आपरेशन 
ऑपरेशन के दौरान, छाती के दायें भाग को खोल कर, आहार नली एवं गाँठ को छाती के विभिन्न अंगों से अलग किया गया। उसके बाद पेट खोलकर गाँठ को लीवर, महाधमनी, मद्यपट, तिल्ली से अलग किया गया। गाँठ के ज़्यादा बड़े होने, ट्यूमर के आसपास बड़ी रक्त वाहिकाओं की उपस्थिति, एवं पेट के ऊपरी हिस्से में ऑपरेशन के लिए जगह कम होने से इस ऑपरेशन में जटिलताओं का सामना करना पड़ा। आहार नली एवं गाँठ को निकालने के बाद अमाशय के सामान्य हिस्से से नई आहार नली का निर्माण कर उसे गले में खाने के रास्ते से जोड़ा गया। लगभग 9 घंटों निरंतर चले इस कठिन ऑपरेशन को कैंसर सर्जरी विभाग की टीम ने सफलतापूर्वक संपन्न किया। मरीज अब ठीक है और उसे छुट्टी दे दी गई है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन से इस प्रकार की जटिल सर्जरी अब नियमित रूप से एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग द्वारा की जाती है।