भोपाल/नई दिल्ली।
विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव के पहले फिर कंप्यूटर बाबा ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।अब लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी की तरह बाबा मन की बात करने वाले है। इसके लिए उन्होंने देशभर के संतों को आमंत्रित किया है। वे इस मन की बात में राम मंदिर का मुद्दा रखेंगें। बताते चले कि इससे पहले बाबा ने विधानसभा चुनाव के दौरान शिवराज सरकार खिलाफ मोर्चा खोला था और संत समागम आयोजित कर मन की बात के जरिए शिवराज सरकार और बीजेपी के खिलाफ निशाना साधा था।
दरअसल, लोकसभा चुनाव के पहले राममंदिर को लेकर फिर सियासत तेज हो चली है। राजनैतिक दलों के साथ साथ संतों ने भी केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर ली है। इसी कड़ी में अब कंप्यूटर बाबा पीएम मोदी की ‘मन की बात’ कार्यक्रम की तर्ज पर ‘मन की बात’ करने वाले है। वे इस कार्यक्रम में राम मंदिर के मुद्दे को उठाएंगें। यह कार्यक्रम दो फरवरी को कुंभ नगरी प्रयागराज में होगा। इसमें शामिल होने के लिए बाबा ने देश के साथ साथ विदेश के संतों को भी आमंत्रित किया है।
इस दौरान वे मोदी सरकार और यूपी के मुख्यमंत्री योगी पर भी जमकर हमला बोलेंगें ।मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की जाएगी।खबर है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से आगे की रणनीति तैयार की जाएगी की आंदोलन कैसे करना है और कहां करना है।वही बाबा के इस कदम से बीजेपी में हड़कंप की स्थिति है। पार्टी बाबा पर पलटवार करने की योजना बना रही है।हालांकि बाबा का ये कार्यक्रम कितना असरदार होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
गौरतलब है कि कंप्यूटर बाबा मूल रूप से जबलपुर के पास स्थित बरेला के निवासी हैं। वो करीब 28 साल पहले बनारस पहुंचे थे। वहां उनके गुरू के मठ में दीक्षा ली और देश में कम्प्यूटर का आगमन भी उसी समय हुआ था। मठ में उस समय कंप्यूटर लाया गया, जिसे चलाना सिर्फ स्वामी नामदेव त्यागी को ही आता था। मठ की कमान बाबा को सौंपी, तभी से उन्हें कंप्यूटर बाबा का नाम मिला। कंप्यूटर बाबा का पूरा नाम अनंत विभूषित 1008 महामंडलेश्वर नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा है। दो साल पहले वे तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने सिंहस्थ में मप्र सरकार की तैयारियों की पोल खोली थी। बाबा ने उज्जैन से लेकर दिल्ली तक मप्र सरकार द्वारा सिंहस्थ में किए गए गोलमाल को उजागर किया।इसके बाद से सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया था, लेकिन कुछ कारणों ने चलते उन्होंने शिवराज सरकार पर आरोप लगाते हुए इस पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से ही वे लगातार बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने जमकर तत्कालीन शिवराज सरकार का घेराव किया था।