भोपाल।
बीजेपी के शासन काल में हुए घोटालों और कांडो को कांग्रेस सरकार फिर से खोलने की तैयारी कर रही है। खबर है कि व्यापमं, मंदसौर गोलीकांड,पेटलावाद हादसे के बाद अब राज्य सरकार मध्यप्रदेश के सबसे चर्चित हेमंत कटारे मामले की जांच कराने जा रही है। गृहमंत्री बाला बच्चन इस मामले में फिर से जांच कराने के संकेत दिए हैं।उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के विधायक रहे हेमंत कटारे से बात करेंगे और जरूरत पड़ने पर इस मामले को फिर से देखेंगे। बच्चन के बयान ने राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। वही उन अफसरों की नीद उड़ गई है, जो इस पूरे मामले की जांच कर रहे थे और अप्रत्यक्ष रुप से शामिल थे। माना जा रहा है अगर ये फाइल खुलती है तो कई अधिकारियों और नेताओं पर गाज गिर सकती है।
दरअसल, अटेर से कांग्रेस के विधायक रहे हेमंट कटारे की शिकायत पर भोपाल क्राइम ब्रांच ने सबसे पहले एक छात्रा पर ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज किया था। इसके बाद छात्रा ने जेल से एक पत्र डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी को भेजा और रातों-रात हेमंत कटारे पर ही अपहरण और रेप का मामला दर्ज कर लिया गया। जिसको लेकर खूब बवाल भी मचा था। कांग्रेस ने इस पर विरोध जताया था। ऐसे में अब चूंकी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, अगर सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इस मामले की जांच करवाती है, तो कांग्रेस को तो फायदा मिलेगा ही मिलेगा वही कई अधिकारी-नेता इस मामले में फंस सकते है।क्योंकि इस मामले में भाजपा नेता अरविंद भदौरिया पर भी राजनीतिक षड़यंत्र करने के आरोप भी लग चुके हैं। सुत्रों की माने तो अगर इस मामले की फिर से जांच होती है तो भोपाल आईजी जयदीप प्रसाद, डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी, एसपी राहुल लोढ़ा, एएसपी धर्मवीर यादव, एएसपी रश्मि मिश्रा, जेल अधीक्षक, महिला थाना टीआई और बजरिया थाने के टीआई पर कार्रवाई हो सकती है। वही भाजपा नेता की भी मुश्किले बढ़ना तय है।
गौरतलब है कि माखनलाल विश्वविद्यालय की छात्रा के साथ मिलकर पंजाबी बाग निवासी विक्रमजीत पर ब्लैकमेलिंग का अपराध दर्ज कराने वाले विधायक हेमंत कटारे पर आरोपी युवती ने महिला पुलिस थाने में दुष्कर्म का अपराध दर्ज कराया था। इसी बीच पीडि़त युवती की मां ने भी कटारे के खिलाफ बजरिया पुलिस थाने में अपहरण का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने कटारे पर 10 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया है। मामला अभी कोर्ट में चल रहा है।बीते बुधवार को हुई सुनवाई में सरकार की ओर से जवाब पेश करने अतिरिक्त मोहलत मांगी गई। जस्टिस सीवी सिरपुरकर की एकलपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 7 फरवरी को निर्धारित की है। पिछली सुनवाई के दौरान कटारे की ओर से एक आवेदन पेश कर कहा गया था कि रिपोर्ट में कुछ तथ्य झूठे हैं।