भोपाल।
विधानसभा की तरह मध्यप्रदेश में लोकसभा की भी कई ऐसी सीटे है जिनके किस्से आज इतिहास बनकर रह गए है। आज एक ऐसी ही सीट के बारे में हम चर्चा करेंगें जहां उम्मीदवार चुना तो सांसद बनकर जाता है, लेकिन आखिर मे विधायक बनकर रह जाता है।हम बात कर रहे है देवास-शाजापुर लोकसभा सीट की । यहां हर बार बीजेपी कांग्रेस के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिलता है।सबसे पहले यह सीट आज से 11 साल पहले 2008 में अस्तित्व में आई थी। शाजापुर लोकसभा सीट को खत्म करके बनाई गई देवास लोकसभा सीट पर दो चुनाव हुए हैं, जिसमें से एक में कांग्रेस और एक में बीजेपी को जीत मिली है। दोनों ही चुने हुए सांसद वर्तमान में अब विधायक बनकर रह गए है। अब दोनों को ही इस सीट पर जिताऊ और नए चेहरे की तलाश है।
मध्य प्रदेश की देवास लोकसभा सीट राज्य की एक ऐसी सीट रही है, जहां से बीजेपी के दिग्गज नेता थावरचंद गहलोत चुनाव लड़ चुके हैं। परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई देवास लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। शाजापुर लोकसभा सीट को खत्म करके देवास लोकसभा सीट बनाई गई। यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। 2009 में हुए यहां पर चुनाव में कांग्रेस के सज्जन सिंह को जीत मिली थी, उन्होंने मोदी सरकार में मंत्री थावरचंद गहलोत को मात दी थी, हालांकि इसके अगले चुनाव में बीजेपी ने बदला लेते हुए इस सीट पर कब्जा किया।2014 के चुनाव में भाजपा नेता मनोहर ऊंटवाल ने सज्जन सिंह वर्मा को हरा कर चुनाव जीता। हाल के विधानसभा चुनाव में ऊंटवाल ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। 2014 में सांसद का चुनाव हारे सज्जन सिंह वर्मा भी विधानसभा चुनाव लड़े और वो भी जीतकर कमलनाथ सरकार में मंत्री बन गए।वही यहां से दो विधायक भी मंत्री है। इस तरह लोकसभा सीट के ये दो परंपरागत प्रतिद्वंद्वी अब विधायक बनकर विधानसभा में जा चुके हैं। बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल ने देवास लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन उन्होंने 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा और आगर सीट पर उन्होंने विजय हासिल की। ऐसे में देखा जाए तो इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बराबरी का मुकाबला रहा है।
8 विधानसभा सीटे-चार पर बीजेपी, चार पर कांग्रेस
संसदीय क्षेत्र में शाजापुर और देवास जिले की तीन-तीन, आगर और सीहोर जिले की एक-एक विधानसभा सीट आती हैं। देवास लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। आष्टा, शुजालपुर,देवास,आगर,कालापीपल, हटपिपल्या, शाजापुर और सोनकच्छ यहां की विधानसभा सीटें हैं। यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है। इस बार मुकाबला रोचक होने वाला है। चुंकी दोनों अब बराबर के लेवल पर आ गए है। विधानसभा चुनाव में भी दोनों को चार चार सीटे मिली है, ऐसे में दोनों दलों को जिताऊ और नए चेहरे की तलाश है। हालांकि जीत किसकी होगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगी, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि यह इतिहास अपने आप को फिर दोहराएगा।
ऐसा है इस सीट का इतिहास
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस के सज्जन सिंह को हराया था। इस चुनाव में मनहोर ऊंटवाल को 665646(58.19 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं सज्जन सिंह को 405333(35.49 फीसदी) वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 260313 वोटों का था। वहीं बसपा 1.51 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी। इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस के सज्जन सिंह को जीत मिली थी, उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता थावरचंद गहलोत को मात दी थी। सज्जन सिंह को 376421(48.08 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं थावरतंद गहलोत को 360964(46.1 फीसदी) वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 15457 वोटों का था। इस चुनाव में बसपा 1.37 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी।