MPPSC interview: मध्य प्रदेश एमपीपीएससी पर उठने वाले सवालों का सिलसिला कभी थमता नहीं है, कभी परीक्षा नहीं होने तो कभी परिणाम में देरी और कहीं रिक्त पदों की पूर्ति नहीं किये जाने पर सवाल उठते ही हैं लेकिन इस बार सवाल लिखित परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में कम अंक दिए जाने पर उठाये जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने ये सवाल उठाये हैं उन्होंने इस विषय में एक पत्र मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को लिखा है जिसमें उन्होंने कुछ अभ्यर्थियों द्वारा उन्हें लिखे पत्र का हवाला देते हुए कई सवाल किये है।
प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ के आरोप
दिग्विजय सिंह ने लिखा -“मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग भर्ती की तैयारी कर रहे कुछ अभ्यार्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुझसे भेंट कर अवगत कराया है कि म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में गडबड़ी कर प्रतिभाशाली अभ्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। साक्षात्कार में मनमाने अंक देकर लिखित परीक्षा में कम नंबर पाने वालों का चयन किया जा रहा है। जिससे मेधावी छात्रों में एमपीपीएससी की कार्यप्रणाली पर आक्रोश व्याप्त है।
टॉप करने वाले अभ्यार्थियों को इंटरव्यू में कम अंक दिये के आरोप
अभ्यार्थियों ने बताया है कि आयोग द्वारा मुख्य परीक्षा में टॉप करने वाले अभ्यार्थियों को इंटरव्यू में कम अंक दिये जा रहे हैं जबकि राजनेताओं एवं अफसरों के बच्चों अथवा परिचितों को ज्यादा अंक देकर डिप्टी कलेक्टर जैसे पोस्ट दी जा रही है। अभ्यार्थियों ने व्यापक स्तर पर किये जा रहे इस घोटाले को तत्काल रोकने तथा घोटाले में शामिल लोगों पर सख्त कार्यवाही किये जाने का निवेदन किया है। इस संबंध में स्थानीय समाचार पत्रों में भी खबर प्रकाशित हुई है जिसकी छायाप्रति पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूँ।
बेरोजगारी को लेकर किया हमला
आपको विदित है कि प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में 40 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं के नाम दर्ज है। प्रदेश में म.प्र. लोक सेवा आयोग प्रतिवर्ष सीधी भर्ती के पदों में लगातार कमी करते जा रहा है। जबकि विभिन्न विभागों में हजारों की संख्या में पद रिक्त है। ऐसी स्थिति में चंद पदों के लिये कुछ उच्च शिक्षित नौजवान सालों से राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर अपने चयन का इंतजार करते है।
पूरी परीक्षा के चरणों की निष्पक्ष जांच की मांग
इस वर्ष घोषित परिणामों ने युवाओं का आत्मविश्वास गिरा दिया है। लिखित परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर मेरिट में नंबर लाने वाले चयन में वंचित कर दिये गये और लिखित परीक्षा में कम नंबर लाने वाले साक्षात्कार में अधिकतम नंबर लाकर डिप्टी कलेक्टर, डी.एस.पी. जैसे द्वितीय श्रेणी के पदों पर चयनित हो गये है। अंकसूची मिलने पर इस धांधली का खुलासा हुआ है। इस घोटाले ने राज्य लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुँचाई है। इस पूरी परीक्षा के चरणों की निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिये।
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग में एक विचारधारा विशेष के सदस्य नियुक्त कर भाई-भतीजावाद के साथ चयन किया जा रहा है। अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि उक्त घोटाले की म.प्र. उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित कर जांच कराई जानी चाहिये। ताकि बेरोजगार प्रतिभावान अभ्यार्थियों को न्याय मिल सके। आयोग की जांच में गड़बडियॉ पाये जाने पर परीक्षा निरस्त कर पुनः कराई जाये।