Diwali 2022 : आध्यात्मिक जागृति का पर्व भी है दीपावली

Kashish Trivedi
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diwali 2022

भोपाल, प्रवीण कक्कड़। दीपावली (Diwali 2022) का जितना लौकिक महत्व है उतना ही आलौकिक महत्व भी है. लौकिक दृष्टि सीमित है। साफ-सफाई, खरीदारी, पकवान, उत्सव और पूजन आदि लौकिक दृष्टि से अनिवार्य हैं। सांसारिक जीवन में रह रहे मनुष्य के लिए यह उसके पुरुषार्थ का हिस्सा है, किंतु ऐसा नहीं है कि जो सांसारिक है वह सांसारिकता से ऊपर उठकर विचार नहीं कर सकता।

भौतिक जीवन में रहते हुए भी आध्यात्मिक चिंतन किया जा सकता है। दीपावली का पर्व हमें इसी आध्यात्मिक चिंतन के लिए भी प्रेरित करता है। ऐसा नहीं है कि केवल सनातन परंपरा में दीपावली के पर्व का महत्व है। सनातन की धारा से निकले बौद्ध और जैन पंथ भी दीप उत्सव का महत्व प्रतिपादित करते हैं।

Diwali 2022 : आध्यात्मिक जागृति का पर्व भी है दीपावली

धनतेरस के दिन धनवान बनने का उपाय किया जा सकता है। रूप चतुर्दशी के दिन रूपवान बनने का उपाय किया जा सकता है। लक्ष्मी पूजन के दिन लक्ष्मी का स्वागत किया जा सकता है, किंतु प्रज्ञावान, आस्थावान और आध्यात्मिक रूप से जागृत बनने के शुभ अवसर तो सदैव रहते हैं, इसीलिए सभी धार्मिक परंपराओं में दीपोत्सव का आध्यात्मिक महत्व भी है।

भारतीय वांग्मय में तो स्पष्ट लिखा है ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’. घोर अमावस की रात में लाखों दिए प्रज्वलित कर अंधकार पर विजय पाने की चेष्टा अथवा प्रभु श्री राम के अयोध्या आगमन पर हृदय की खुशियों का प्रकटन, हर्षोल्लास का और लक्ष्मी का पूजन अलौकिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, किंतु अपने भीतर के अज्ञान के अंधकार को मिटाकर अपनी प्रज्ञा और ज्ञान को जागृत करना ही सच्चे अर्थों में तमसो मा ज्योतिर्गमय है।

Diwali 2022 : आध्यात्मिक जागृति का पर्व भी है दीपावली

यह केवल सनातनी वांग्मय की बात नहीं है बल्कि सनातन से निकले सभी पंथ इसे गहराई से स्वीकार करते हैं। बौद्ध धर्म के धर्मावलंबी बुद्ध की अमृतवाणी ‘अप्प दीपो भव’ अर्थात आत्मा के लिए दीपक बने का पालन करने का प्रयास करते हैं। कार्तिक अमावस के दिन भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, महावीर जीवन भर मुमुक्षु रहे। मोक्ष प्राप्ति के दिन उनका उपदेश हमें मोह और सांसारिकता के बीच विरक्ति और मोह, माया से परे कर्म प्रधान जीवन जीने की राह दिखाता है।

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हमारा मार्ग प्रशस्त करता है। संभवतः इसीलिए इस धरती का सबसे अलौकिक पर्व है दीपावली, केवल भारत ही नहीं बल्कि पश्चिम की Know thyself की अवधारणा भी इसी आध्यात्मिक चेतना का हिस्सा है। स्वयं को जानेंगे तो प्रकाश उत्पन्न होगा। प्रकाश उत्पन्न होगा तो भीतर की चेतना जागृत होगी। भीतर की चेतना जागृत होगी तो अंदर उजियारा फैल जाएगा। जब बाहर और भीतर दोनों तरफ प्रकाश होगा तो अंधकार अपने आप चला जाएगा। इसलिए इस दीपावली अपने भीतर भी एक दीया जलाएं। ज्ञान का, प्रज्ञा का, प्रेम का, करुणा का और दया का।

दीपोत्सव की अनंत शुभकामनाएं…


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