भोपाल| केंद्र सरकार की घोषणा के बाद से ही 2 प्रतिशत डीए के इन्तजार में बैठे मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को अभी और इन्तजार करना पड़ सकता है| वित्तीय परिस्थितियों से जूझ रही नई सरकार को अपने वचन पूरा करने के लिए भारी भरकम बजट की आवश्यकता है| सबसे बड़ी घोषणा ‘कर्जमाफी’ को अमल में लाने के लिए सरकार को 35 से 38 हजार करोड़ की जरुरत है। जबकि अगर दो फीसदी महंगाई भत्ता राज्य सरकार देती है तो उसे हर माह लगभग 60 करोड़ रुपए का भार आएगा| जिसके चलते संभावना है कि फिलहाल कर्मचारियों का दो प्रतिशत डीए कर्जमाफी के कारण अटक सकता है|
वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को 9 फीसदी महंगाई भत्ता मिल रहा है, जबकि मप्र में यह 7 फीसदी है। केंद्र सरकार ने एक जुलाई 2018 से 2 फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाया था| केंद्र के एलान के बाद मध्य प्रदेश में भी डीए की बढ़ोतरी की जाती रही है| लेकिन मप्र में यह अभी तक लागू नहीं हुआ। इससे पहले विधानसभा चुनाव से पहले भी कर्मचारियों को खुसखबरी मिलने की उम्मीद थी| लेकिन आचार संहिता का हवाला देकर तत्कालीन शिवराज सरकार ने इसे लटकाया रखा| अब कांग्रेस की नई सरकार की कर्जमाफी की प्राथमिकता के चलते यह टलता दिख रहा है।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के कर्मचारियों को दो फीसदी महंगाई भत्ता देने पर सरकार पर 60 करोड़ रुपए का भार हर माह आएगा| वहीं जुलाई से लेकर अभी यह राशि 360 करोड़ रुपए के करीब हो गई है| इसमें शिक्षक बने अध्यापक संवर्ग के कर्मचारी भी शामिल हैं| अगर सरकार एक दो माह में डीए देने का फैसला करती है तो यह राशि जीपीएफ में जाएगा। वहीं खबर है कि खाली खजाने की स्तिथि में सरकार एक हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है, वित्त विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है|