भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। दस सितंबर से गणेशोत्सव प्रारंभ होने जा रहा है। हर साल हजारों की तादाद में गणेश प्रतिमाएं बनाई जाती है और उनका विसर्जन किया जाता है। इसे देखते हुए पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (EPCO) को आगामी गणेश चतुर्थी के लिये लोगों को सितंबर के प्रथम सप्ताह में मिट्टी से गणेश मूर्ति का नि:शुल्क प्रशिक्षण देने के निर्देश दिये हैं। उन्होने कहा कि पीओपी से बनी और रासायनिक रंगों से रंगी मूर्तियों के विसर्जन से नदी-तालाबों का जल विषाक्त होता है। हमारी संस्कृति में माटी गणेश पूजन की परंपरा है, जो तत्काल पानी में घुल जाती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचता है।
हरदीप सिंह डंग ने कहा कि भारतीय संस्कृति में मिट्टी, गोबर, सुपारी आदि से गणेश का प्रतीक बनाकर पूजने की परंपरा रही है। मंगल कलश में बनने वाले स्वास्तिक को भी गणेश ही माना जाता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि बच्चों को मिट्टी की प्रतिमा बनाना सिखाने के साथ पीओपी के दुष्परिणामों से भी अवगत करायें। इससे भविष्य में पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागरूकता का वातावरण रहेगा। उन्होने कहा कि पीओपी मूर्तियों का विसर्जन तालाबों और कुंडों की जलभराव क्षमता को भी कम करता है। रासायनिक रंगों का दुष्प्रभाव मनुष्यों और पशुओं में अनेक रोगों को जन्म देता है। पीओपी की मूर्तियाँ लम्बे समय तक जल में नहीं घुलतीं, इससे देवी-देवताओं की अवमानना भी होती है। उन्होंने कहा कि एप्को में प्रशिक्षण के दौरान बनायी गयी मूर्ति लोग अपने घर नि:शुल्क ले जा सकेंगे। पूजन के उपरांत मूर्ति का विसर्जन घर पर ही किया जा सकेगा।