भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। उपचुनाव (Byelection) से पहले मध्यप्रदेश की सियासत में किसान चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही एक दूसरे को किसानों के मुद्दे पर घेर रहे है। एक तरफ जहां भाजपा (BJP) कर्जमाफी की गेंद कांग्रेस के पाले में डाले हुए है वही कांग्रेस (Congress) ओलावृष्टि का मुआवजे और किसान आत्महत्या को आधार बनाकर सरकार की घेराबंदी कर रही है। इसी बीच अब पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ (Former Chief Minister and PCC Chief Kamal Nath) ने विदिशा (Vidisha) में एक किसान (Farmers) की आत्महत्या (Suicide) मामले में सरकार को दोषी करार दिया है।
कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा है कि भले आपकी पूरी सरकार किसान की इस आत्महत्या के पीछे भी अन्य कारण बताने में जुट जाये लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश का किसान राहत के अभाव में अपनी जान दे रहा है और इनसे बेख़बर आपका चुनावी पर्यटन , करोड़ों की झूठी घोषणाएँ , झूठे शिलान्यास , चुनावी भूमिपूजन का खेल जारी है। कमलनाथ ने आगे लिखा है कि शिवराज जी ,अतिवर्षा , कीटों के प्रकोप से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में ख़राब हुई फ़सलो का किसानो को अभी तक मुआवज़ा नहीं मिला है , उन्हें आपकी सरकार ने कोई राहत प्रदान नहीं की है।आपने बाढ़ पर्यटन ख़ूब किया , पीड़ितों के बीच ख़ूब लच्छेदार भाषण दिये लेकिन अभी तक उन्हें राहत प्रदान नहीं की।आज भी आपके गृह जिले विदिशा के सिरोंज के ग्राम भोरिया में फसल बर्बादी से दुखी किसान गोवर्धन भावसार (Govardhan Bhavasar) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है।
अतिवृष्टि और बाढ़ से 9 हजार 500 करोड़ की हुई हानि
सितंबर के पहले सप्ताह में प्रदेश में भारी बारिश हुई थी, जिसकी वजह से सीहोर, रायसेन होशंगाबाद जैसे जिलों में बाढ़ आ गई थी। बढ़ते जलस्तर की वजह से नर्मदा डैम को भी खोल दिया गया था।सरकारी आंकडों के अनुसार, प्रदेश में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण प्रारंभिक आकलन के अनुसार लगभग 9 हजार 500 करोड़ की हानि हुई है। प्रदेश में फसलें, मकान, पशु हानि के साथ-साथ सड़कों तथा अधोसंरचना को हुई क्षति के कारण व्यवस्थाएं प्रभावित हुईं। इस स्थिति में लोगों को अपने घरों से रेस्क्यू कर राहत शिविरों में पहुंचाया गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया था कि सर्वे कार्य निरंतर जारी है और अधिक नुकसान की स्थिति भी सामने आ सकती है। राज्य सरकार ने प्रभावित लोगों को अधिकाधिक सहायता दी है। आगे भी राहत पहुँचाने में की बात कही गई है, लेकिन किसान आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार के दावे फीके पड़ते नजर आ रहे है।
इन जिलों को आपदाग्रस्त घोषित करेगी सरकार
हाल ही में किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल (Kamal Patel) ने निर्देश दिए थे कि जिन जिलों में अति-वृष्टि या बाढ़ से फसलों को 50 प्रतिशत से अधिक क्षति पहुँची है, उन जिलों को आपदाग्रस्त (Distressed district) कराये जाने के लिये समुचित आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें। उन्होंने जिलों में फसलों को हुए नुकसान की जानकारी प्राप्त कर वास्तविक आंकलन के निर्देश दिये थे, बावजूद इसके किसानों को मुआवजा नही मिल पाया है।