भोपाल। तालाब, पहाड़, हरियाली और यहां की आब-ओ-हवा में जितनी तरोताजगी है, उससे ज्यादा शीरी यहां की अवाम के दिलों में है। जिससे एक बार मिलते हैं, हमेशा के लिए उसे अपना बना लेते हैं। मुंबई से लेकर दसों देशों में मौजूद हजारों सुविधाएं और शूटिंग के लिए आसानियां भी इस शहर की तरोताजगी के आगे फेल हैं। यहां आना एक अहसास है, यहां रहना एक विश्वास है, यहां काम करना एक अनुभव है। आने वाले दिनों में मिनी मायानगरी का दर्जा शहर-ए-भोपाल को दिया जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।
मशहूर फिल्म निर्देशक सतीश कौशिक मंगलवार को राजधानी में थे। वे यहां फिल्मसिटी तैयार किए जाने की संभावनाओं को टटोलने के लिए पहुंचे थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ से खास मुलाकात के लिए जाने से पहले उन्होंने मीडिया से अपने जज्बात और भावी योजनाएं शेयर कीं। सतीश ने कहा कि वे कई बार भोपाल आते रहे हैं और जब भी यहां आते हैं, पिछली बार से कुछ ज्यादा इस शहर से प्रभावित होकर जाते हैं। उन्होंने कहा कि यहां की सुंदर वादियां और सुलभ सुविधाओं ने बॉलीवुड का रुझान इस शहर की तरफ किया है। पिछले कुछ सालों में यहां सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर मशहूर फिल्मकार प्रकाश झा तक इस शहर से प्रभावित होकर गए हैं और बार-बार यहां आने की ख्वाहिश रखते हैं। आने वाले दिनों में यहां फिल्मसिटी स्थापित होने की चर्चाओं पर सतीश कौशिक ने कहा कि मप्र और इस शहर में कला और कला पारखियों की बड़ी तादाद है। यहां फिल्मसिटी बनाने की कवायदों को आगे बढ़ाने के लिए यहां की सरकार और यहां का प्रशासन पूरी शिद्दत से सहयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया के बड़े देशों और शहरों मं आयोजित हो चुके प्रतिष्ठापूर्ण फिल्म समारोह आईफा के लिए प्रदेश के दो बड़े शहरों भोपाल और इंदौर का चयन किया जाना जितना सुकून देने वाला इन शहरों के लिए है, उससे ज्यादा इसके लिए मायानगरी में उत्साह है। सतीश कौशिक ने कहा कि रंगमंच की नर्सरी कहे जाने वाले इस शहर के कलाकारों के लिए आने वाले दिन स्वर्णिम कहे जा सकते हैं। यहां की ऊर्जा, कला, कौशल, लेखन, स्वच्छ उच्चारण से फिल्म इंडस्ट्री को भी बड़े फायदे मिलने की उम्मीद की जा सकती है। साथ ही अपने अनुभव और कौशल के साथ मुंबई पहुंचने वाले युवाओं को भी अपनी तलाश यहीं पूरी होती नजर आएगी।