भोपाल।
वित्तीय संकट से जूझ रही प्रदेश की कमलनाथ सरकार अब प्रॉपर्टी टैक्स बढाने के मूड में है। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते राज्य सरकार सभी निकायों को उनकी आय बढ़ाने के लिए कहा है। इसके लिए सरकार ने अभी से तैयारियां शुरु कर दी है। नगरीय विकास विभाग ने सभी नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों को निर्देश दिए हैं कि निकायों की आय बढ़ाने के लिए संपत्ति कर की दरों को रिवाइज करने का नया प्रस्ताव तैयार किया जाए।खबर है कि नवबंर में नगरीय निकाल चुनाव है और वर्तमान में सभी निकायों की वित्तीय स्थिति ठीक नही जिसके चलते सरकार ने ये फैसला लिया है।बताया जा रहा है कि वित्तीय स्थिति ठीक ना होने के चलते ही पीएम आवास योजना के तहत अफॉर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप जैसे प्रोजेक्ट को भी फिलहाल रोक दिया गया है।
बता दे कि राजधानी में 2010 के बाद से संपत्ति कर नहीं बढ़ा है। संपत्ति कर से भोपाल को लगभग 200 करोड़ रुपए और इंदौर को 250 करोड़ रुपए की आय होती है।
दरअसल, पिछले दिनों नगरीय विकास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में संपत्ति कर की वसूली में खराब प्रदर्शन करने वाले जबलपुर, सिंगरौली, देवास, बुरहानपुर, इंदौर, राजगढ़ जैसे निकायों की समीक्षा की थी। जिसके बाद विभाग ने खराब प्रदर्शन करने वाले इन सभी निकायों को नेशनल लोक अदालत के तहत ज्यादा से ज्यादा वसूली करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही नगरीय विकास विभाग ने सभी नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों को निर्देश दिए हैं कि निकायों की आय बढ़ाने के लिए संपत्ति कर की दरों को रिवाइज करने का नया प्रस्ताव तैयार किया जाए। चुंकी लोकसभा चुनाव के बाद नगरीय निकाय के चुनाव होना है, लेकिन सभी निकायों की वित्तिय स्थिति वर्तमान में ठीक नही है, जिसके चलते सरकार ने यह फैसला लिया है। हालांकि टैक्स कितना और कब बढ़ाया जाएगा, यह अभी तय नही हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि निकाय चुनाव के बाद सरकार टैक्स में बढोत्तरी कर सकती है।
क्या है प्रॉपर्टी टैक्स
प्रॉपर्टी टैक्स में ‘प्रॉपर्टी’ शब्द का मतलब अचल संपत्तियों से है, जिन पर किसी का मालिकाना हक है। यह रिहायशी, कमर्शियल या किसी को रेंट पर दी हुई जमीन हो सकती है। राज्य सरकार ने गणना का जो फॉर्म्युला नोटिफाई किया हुआ है, उसके आधार पर संपत्ति के मालिक को बतौर प्रॉपर्टी टैक्स कुछ पैसा स्थानीय निकाय संस्थाओं को देना होता है। चूंकि यह राज्य का विषय है, इसलिए इसकी गणना के लिए कोई तय फॉर्म्युला नहीं है। आमतौर पर सभी राज्यों में टैक्स की गणना करने का तरीका एक जैसा ही है। हालांकि फॉर्म्युले में मानी जाने वाली चीजों में निकाय अधिकारी बदलाव कर सकते हैं। हर प्रॉपर्टी एक संपत्ति है, इसलिए उस पर सालाना टैक्स सरकार को भुगतान करना अनिवार्य होता है।