भोपाल| शिवराज सरकार के समय विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने जिस घोटाले को लेकर सरकार की घेराबंदी की और दागी अधिकारियों की बहाली पर जमकर हल्ला मचाया था| अब सत्ता में आते ही कमलनाथ सरकार में उन्ही में से एक अधिकारी को इनाम स्वरुप मलाईदार पोस्टिंग दे दी गई है| राज्य शासन ने सहायक आबकारी आयुक्त, देवास संजीव दुबे को धार जिले में समान पद पर पदस्थ किया है| संजीव दुबे वही अधिकारी है जिस पर इंदौर में शराब माफियाओं के साथ गठजोड़ कर सरकार को 42 करोङ रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाने का आरोप है |
इस मामले में संजीव दुबे सहित कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था लेकिन भाजपा सरकार में रसूख के चलते संजीव दुबे ने न केवल अपनी बहाली करा ली, बल्कि देवास जैसे जिले में पदस्थापना तक करा डाली थी| तब दागी अधिकारी की बहाली पर तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने इसका भरपूर विरोध करते हुए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे और मुख्यमंत्री निवास पहुँच कर लिखित शिकायत वहा लगी शिकायत पेटी में भी डाली थी| अब उसी अधिकारी को मलाईदार जिले में पोस्टिंग देकर सरकार ने इनाम दिया है| अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि विपक्ष में रहकर जिसका विरोध किया जाता है सत्ता में आते ही वही दागी अधिकारी प्रिय कैसे बन गया| दरअसल, इसके पीछे एक शराब माफिया का हाथ है जिसने संजीव दुबे को मलाईदार पोस्टिंग के लिए सरकार में जमकर जोर लगाया है और दुबे की भरपूर मदद कर उन्हें धार ले आने में सफल हो गया|
अजय सिंह ने तब शिकायत पेटी में डाले अपने पत्र में आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने बड़े आबकारी घोटाले के आरोपियों को बहाल करने का आदेश निकाला। इसकी जांच भी पूरी नहीं हुई है। लोकायुक्त के साथ यह मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। सरकार ने चोरी छुपे तरीके से बहाली का जो आदेश निकाला है, वह घोटाले में एक और घोटाला होने का संकेत दे रहा है। उन्होंने कहा था कि जब सरकार ने घोटाले के लिए पूरी तरह सहायक आबकारी आयुक्त संजीब दुबे के साथ अन्य अधिकारी कर्मचारियों को दोषी माना है, तो उन्हें बहाल क्यों किया गया। उन्होंने मामले की जांच सीबीआई से कराने की भी मांग की थी|
कौन है संजीव दुबे
संजीव दुबे वही अधिकारी है जिस पर इंदौर में शराब माफियाओं के साथ गठजोड़ कर सरकार को 42 करोङ रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाने का आरोप है | इस मामले में दिलचस्प पहलू यह है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक बाइस करोड रुपए की रिकवरी नहीं हो पाई है। इस मामले में संजीव दुबे सहित कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था लेकिन भाजपा सरकार में रसूख के चलते संजीव ने न केवल अपनी बहाली करा ली बल्कि देवास जैसे जिले में पदस्थापना तक करा डाली जबकि शासकीय नियमों में साफ उल्लेख है कि गंभीर विभागीय जांच के चलते किसी भी अधिकारी को मैदानी पदस्थापना नहीं दी जा सकती। ऐसा नहीं कि संजीव के खिलाफ यह पहला मामला हो ।पहले भी कई मामलों में संजीव आरोपों के घेरे में है और विदिशा, रतलाम व धार जिलों में रहते हुए शासकीय राजस्व को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया है। लेकिन भाजपा नेताओं से नजदीकी के चलते संजीव का बाल बांका भी ना हुआ। 2004 में विदिशा जिले में फंसे हुए संजीव ने कई शराब दुकानदारों से बिना लाइसेंस फीस जमा कराएं उन्हें दुकानें आवंटित कर दी थी जिसके चलते सरकार को लगभग पैसठ लाख रू के राजस्व का नुकसान हुआ। इस मामले में संजीव को आरोप पत्र जारी हुआ था।
हैरत की बात यह है कि पैसठ लाख की गंभीर आर्थिक क्षति के बाद भी सरकार ने संजीव के रसूख के चलते उसे केवल एक वेतन वृद्धि रोक कर दंडित किया और बाद में दूसरे आबकारी आयुक्त ने इस सजा को भी माफ कर दिया जबकि इस सजा को माफ करने के अधिकार केवल शासन को थे। रतलाम में पदस्थ रहते हुए ही भी संजीव के ऊपर शासन को 75 लाख रू का नुकसान होने की शिकायत की गई थी जिस पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। दरअसल रतलाम ,आलोट और जावरा में ठेकेदारों को पक्ष में राशि जमा न करने के बावजूद भी शराब प्रदाय कर दी गई थी जो शासकीय नियमों का सरासर उल्लंघन था। लेकिन संजीव के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। इस मामले में अवैध शराब का ट्रक पकड़े जाने पर आरोपियों के खिलाफ सीजेएम न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए इनकी आबकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत की पुष्टि की थी। धार जिले में भी अवैध शराब से भरा ट्रक ठीकरी थाने में पकड़ा गया था लेकिन इस मामले में भी कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। हैरत की बात यह है कि भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ चुनाव लड़कर सत्ता में आई कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का जीरो टोलरेंस और स्वच्छ प्रशासन जैसे वादे जनता से किए थे। लेकिन अब संजीव दुबे जैसे अधिकारियों की प्राइम पोस्टिंग दे दी गई, अब सवाल खड़ा होता है कि सीएम कमलनाथ क्या ऐसे भ्रष्टाचार को ख़त्म करेंगे|