भोपाल।
मध्य प्रदेश सरकार पिछली शिवराज सरकार की उन तमाम योजनाओ को बंद करने जा रही है जो सरकार के लिहाज से अनुपयोगी है और जिनका दुरूपयोग महज कुछ लोगो को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था। कई ऐसी योजनाएं बरसों से चल रही हैं, जिनका लाभ हितग्राहियों को मिल ही नहीं पा रहा है सरकार ने उनको बंद करने का फैसला लिया है। इन योजनाओ को बंद कर सरकार ऐसी स्कीमों और योजनाओं पर ध्यान देगी, जिनका सीधा फायदा गरीब, आदिवासियों को मिले,। इन्हीं स्कीमों को लेकर शासन ने वरिष्ठ आईएएस अफसरों की अध्यक्षता में पांच कमेटियां बनाई हैं, जो 18 फरवरी तक रिपोर्ट देंगें। दरअसल केंद्र सरकार से 14 हजार 233 करोड़ रुपए की कटौती होने के बाद राज्य सरकार ने अनुपयोगी योजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है, जिसमें केंद्र और राज्य के अंश के साथ हितग्राही का पैसा लगता है। वित्त विभाग की प्रारंभ जानकारी में यह कुछ योजनाएं सामने आई हैं।
इन योजनाओ को किया जाएगा बंद
पशु पालन विभाग की बीपीएल व्यक्ति को स्वरोजगार के लिए एक मुर्गा और 28 दिन के रंगीन 40 चूजे देने की योजना सरकार बंद करेगी।
बाल काटने के लिए केश शिल्पी योजना के अंतर्गत दी जाने वाली आर्थिक अनुदान की योजना को बंद किया जाएगा।
बर्तन बनाने वाले को आर्थिक अनुदान जैसी योजना को भी बंद किया जाएगा इन योजनाओ का लाभ मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में पहले से ही है।
सरकार ने दीन दयाल वनांचल योजना को बंद करने का फैसला पहले ही किया है।
आदिवासी इलाको में चरण पादुका योजना बंद की जाएगी क्योंक इसमें सरकार को बड़े घोटाले की जानकारी मिली है।
शिवराज सरकार भावान्तर योजना को भी बंद करने के बजाय इसमें सुधार करने पर भी सरकार विचार कर रही है।
केंद्र सरकार से कम फंड मिलने से सरकार का पूरा फोकस बजट का मिस मैनेजमेंट रोकने पर है । इसके लिए गैर उपयोगी योजनाएं बंद होंगी या फिर उन्हें मर्ज किया जाएगा । ये ऐसी योजनाएं हैं , जिनके लिए बजट में आवंटित राशि का कोई उपयोग नहीं होता है और यह राशि वर्षों तक जाम रहती है…योजनाओं को मर्ज या बंद करने के पीछे सरकार का मकसद बजट में आवंटित राशि का सही उपयोग करना है।