भोपाल।
सुप्रीमकोर्ट ने भोपाल गैस पीडि़तों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने गैस पीड़ितों को मुआवजे के लिए की अतिरिक्त राशि की मांग वाली याचिका को मंजूर कर लिया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि वह पीड़ितों की मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार की याचिका पर अप्रैल में सुनवाई करेगी। इस खबर के बाद गैस पीड़ितों में खुशी की लहर दौड़ गई है। आखिर 34 सालों बाद उनके संघर्ष का फल उन्हें मिला है।अब इस मामले में सुनवाई अप्रैल माह मे होगी।
दरअसल, यह याचिका केंद्र सरकार और पीड़ितों की ओर से दायर की गई है। इसमें अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) से 7413 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की गई। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल्स पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के लिए अतिरिक्त मुआवजा दिया जाना चाहिए, लेकिन यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल्स इस पर राजी नहीं हैं। हादसे में हुई मौतों और नुकसान का सही आकलन नहीं किया गया है। केंद्र की याचिका में कहा गया है कि गैस लीक से पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त मुआवजा चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि वह अप्रैल में केंद्र सरकार द्वारा दायर उस याचिपर सुनवाई करेगा, जिसमें भोपाल गैस त्रासदी के पीडि़त के लिए मुआवजे के रूप में अमेरिका स्थित यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (यूसीसी) से 7413 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की मांग की गई है।
अब तक मुआवजा..
यूनियन कार्बाइड ने 3 हजार मृतक और 1.2 लाख प्रभावितों के लिए 715 करोड़ का मुआवजा दिया था। लेकिन भोपाल गैस त्रासदी में मरने वालों की संख्या 15274 है, जबकि प्रभावितों की संख्या 5.74 लाख है। सरकार ने प्रभावितों को 50 हजार रुपए प्रति व्यक्ति और मृतक को 10 लाख रुपए मुआवजे के रूप में दिए हैं।
मौत के आंकड़े पर अब भी सस्पेंस
बताते चले कि कंपनी के भोपाल स्थित पेस्टीसाइड प्लांट से 2-3 दिसंबर, 1984 को जहरीली गैस (मिथाइल आइसो साइनाइड) का रिसाव हुआ था। अनुमान बताते हैं इस दुर्घटना में 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी, इसके बाद भी मौत का सिलसिला जारी रहा था, जिसके चलते इस बात पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है कि आखिर इस घटना में कितने लोगों की मौत हुई थी। 2006 में तत्कालीन प्रदेश सरकार के एक शपथ पत्र में माना गया था कि भोपाल के लगभग 5 लाख 20 हजार लोग इस जहरीली गैस से सीधे रूप से प्रभावित हुए थे। इसमें 2,00,000 बच्चे थे, जिनकी उम्र 15 साल से कम थी और 3,000 गर्भवती महिलाएं थीं। आंशिक रूप से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या लगभग 38,478 थी। 3900 तो बुरी तरह प्रभावित और पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गए थे।
34 साल से चल रहा है संघर्ष
भोपाल गैस त्रासदी के 34 साल बाद भी न्याय के लिए संघर्ष चल रहाहै। जहरीली गैस से प्रभावित अब भी उचित इलाज पर्याप्त मुआवजे,न्याय एवं पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं। भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने बताया कि हमने सुप्रीम कोर्ट में सुधार याचिका दायर की है, इसी पर कोर्ट ने अप्रैल में सुनवाई करने को कहा है। हमने 2004 में याचिका लगाई थी इसके बाद इसी में शामिल होकर केंद्र सरकार ने 2010 में अपनी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और अपनी गलती स्वीकार की। उन्होंने माना कि जितना मुआवजा मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिला।