यहां दांव पर दो दिग्गजों की प्रतिष्ठा, बदले समीकरण से चिंता में भाजपा

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खंडवा| सुशील विधानी| खण्डवा लोकसभा सीट, ये सीट हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है क्योंकि बीजेपी के सीनियर लीडर और दो बार के प्रदेश अध्यक्ष रहे नंदकुमार सिंह चौहान यहां से सांसद हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव से है|  नामों की घोषणा होते ही मुकाबला कितना संघर्षपूर्ण होगा इसकी चर्चा शुरू हो गई है। नंदकुमारसिंह चौहान का लंबा राजनैतिक अनुभव रहा है। वे पार्टी के कई शीर्ष पदों पर रहे हैं। नंदकुमार सिंह चौहान नंदू भैया के नाम से भी जाने जाते है। वह एक बार जनपद अध्यक्ष व तीन बार विधायक रहे हैं। खण्डवा श्री धूनी वाले दादाजी के नाम से मशहूर हैं, साथ ही मशहूर गायक किशोर कुमार की जन्मस्थली भी है। तो वही दोनो ही पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का संसदीय क्षेत्र भी है।  

खंडवा सीट पर अब तक भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है। फिलहाल यहां पर भाजपा का कब्जा है। लेकिन इस बार सियासी हालात बदले हुए हैं क्योंकि प्रदेश की सत्ता से भाजपा बाहर हो चुकी है, ऐसे में इस सीट पर भाजपा की वापसी काफी चुनौतीपूर्ण हैं, तो वहीं आत्मविश्वास से भरी हुई कांग्रेस की पूरी कोशिश इस बार अपनी हार को जीत में बदलने की होगी, अब देखना है कि राजनीति के इस खेल में जीत की बाजी किसके हाथ लगती है। 

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विधानसभा चुनाव से बदली स्तिथि 

खंडवा संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें आती हैं। साल 2018 के परिणाम के बाद खंडवा की आठों विधानसभाओं का भी गणित बदल गया है। खण्डवा लोकसभा की 8 विधानसभा सीट में बीजेपी के पास 3 सीटें है खंडवा, पंधाना, बागली तो कांग्रेस के पास 4सीटे है मांधाता,नेपानगर,बडवाह,भीकनगांंव है। और एक अन्य बुरहानपुर सीट निर्दलीय के पास है। जो कांग्रेस की कमनाथ सरकार को अपना समर्थन दे रहे है।  खंडवा लोकसभा सामान्य लोकसभा में आती है। इसमें लगभग 8 विधानसभा क्षेत्र सम्मिलित है । पंधाना, नेपानगर और भीकनगांव विधानसभा को छोड़ बाकी की विधानसभा में राजपूत और गुर्जर समाज का वर्चस्व बना रहता हैं इसी तरह बुराहनपुर क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता प्रत्याशी का भविष्य तय करते हैं। बात अगर अरुण यादव की करें तो यादव की गुर्जर वोटों पर पकड़ बहुत मजबूत है। वहीं राजपूत मतदाताओं में भी यादव खासी पेठ रखते है। हालांकि भाजपा के प्रत्याशी नंदकुमारसिंह भी राजपूत समाज से आते हैं और लंबे समय से उन्होंने अपने समाज में अपना प्रतिनिधित्व कायम रखा हुआ हैं । साल 2009 में अरुण यादव ने राजपूत मतदाताओं में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की थी। वहीं बुराहनपुर में मुस्लिम मतदाता इस बार कांग्रेस के साथ जा सकता हैं। वहीं बागली के ठाकुर और गुर्जर भी कोंग्रेस को अपना समर्थन दे सकते है। हालांकि जिले में यादव समाज के वोटर बड़ी संख्या में नहीं हैं बावजूद इसके अरुण यादव ने सभी को अपने साथ साध रखा है। इधर नंदकुमारसिंह की भी कम नहीं आंका जा सकता हैं। नंदकुमारसिंह 5 बार खंडवा लोकसभा से सांसद रहे हैं। इनकी आदिवासी मतदाताओं पर अच्छी पकड़ हैं। 

चार बार के सांसद नंदू भैया की प्रतिष्ठा दांव पर 

नंदकुमारसिंह चौहान खण्डवा लोकसभा से लगातार चार बार सांसद रहे है, लेकिन साल 2009 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस की वापसी हुई और अरूण यादव यहां से सांसद चुने गए और केंद्र में मंत्री बने। लेकिन साल 2014 के चुनाव में नंदकुमारसिंह चौहान ने कांग्रेस से अपनी हार का बदला ले लिया और वो पांचवी बार इस सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे। नंदकुमार सिंह चौहान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नजदीकी माने जाते है। इसके बाद भी खंडवा में अभी कहीं विकास कार्य नहीं हो पाए हैं। 

अरूण यादव का राजनीतिक सफर 

प्रदेश कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार अरूण यादव को हालाकि राजनीति विरासत में मिली है। लेकिन इनके द्वारा अल्प समय में राजनीति के पुरोधा पुरूष के रूप में अपनी पहचान स्थापित करते हुए कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए दायित्वों को बखूबी निर्वहन किया है। लोकसभा क्षेत्र खरगोन के उपचुनाव में 15 दिसम्बर  2007 को एक लाख 18 हजार 629 मतों से संसद सदस्य निर्वाचित हुए इस चुनाव में उन्होने भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री और सांसद कृष्णमुरारी मोघे को पराजित किया। वही 15 वीं लोकसभा के चुनाव में लोकसभा क्षेत्र खंडवा से 16 मई 2009 को संसद सदस्य निर्वाचित। इस चुनाव मे भाजपा के संगठन महामंत्री और चार बार लोकसभा चुनाव जीते चुके नंदकुमारसिंह चौहान को 49 हजार 81 मतों से पराजित किया। श्री यादव कांग्रेस की सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री, खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय,केन्द्रीय राज्यमंत्री, भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम तथा  केन्द्रीय राज्यमंत्री, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण भी रह  चुके है। इसके साथ ही यादव पूर्व सदस्य, लोक लेखा समिति, लोकसभा एवं पूर्व सदस्य, पिछडा वर्ग कल्याण लोकसभा के दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुके है। चौहान को टक्कर देने पार्टी ने यादव पर भरोसा जताया है, इसी सीट से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अपनी पत्नी के लिए भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने अरुण यादव पर विश्वास जताया है| 

2009 में दे चुकें है,नंदू भैय्या को पटखनी 

इससे पहले वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस से अरुण यादव ने जीत हासिल की थी.। उन्होंने बीजेपी के नंदकुमार चौहान को हराया था। इस चुनाव में अरुण यादव को 394241(48.53 फीसदी ) वोट मिले थे।तो वहीं नंदकुमार चौहान को 345160(42.49 फीसदी) वोट मिले थे।  दोनों के बीच हार जीत का अंतर 49081 हजार वोटों का था। 

एक नजर अधूरे कार्य पर

1- ग्राम रूदी में ग्रोथ सेंटर बनाया गया लेकिन कोई बड़ी इंडस्ट्री यह नहीं आ पाई है। युवा रोजगार के लिए आज भी बाहर जाने को मजबूर है।

2- पानी की समस्या को दूर करने के लिए 106 करोड़ रुपए की नर्मदा जल योजना सौगात मिली। लेकिन पाइपलाइन बार बार फूटने के कारण पानी की समस्या अब भी बरकरार है। 

3- शहर को रिंगरोड ,बायपास और ट्रांसपोर्ट नगर की सौगात आप तक नहीं मिली है। ट्राफिक की समस्या शहर में आज भी बरकरार है। 

4- इंदौर इच्छापुर हाईवे पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है जिसके कारण लगातार यहां एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ रही है। इसका निर्माण शुरू नही हुआ है।

एक नज़र विकास कार्य पर 

1- शहर को शासकीय मेडिकल कॉलेज की बड़ी सौगात  मिली है। लेकिन इसका श्रेय अरूण यादव और नंदकुमार सिंह चौहान दोनों ही लेते हैं।

2- खंडवा अकोला रेलवे मीटर गेज को ब्रॉड गेज में तब्दील कराया है। खण्डवा से इंदौर ओर अकोला सुपरस्टार ट्रेन दौड़ने लगेंगी।

3- किसानों के लिए अरबों रुपए की सिंचाई योजनाएं लेकर आए। छैगांव सिंचाई योजना, जावर सिहाड़ा सिंचाई योजना, भीकनगांव भिंडरवाला सिंचाई योजना। ऐसी कही गांवों को सिंचाई योजना की सौगात मिली है।इन योजनाओं से कहीं गांवों की जमीन है सिंचित होगी और बारहमासी फसलें किसान कर सकेंगे।

4- नेपा पेपर मील को चालू कराने के लिए केंद्र से 469 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज की सौगात मिली । 

सांसद के आदर्श ग्राम का भी हाल बेहाल 

सासंद नंदकुमारसिंह चौहान के गोद लिए आदर्श ग्राम आरूद के हाल और भी ज्यादा खस्ता हाल है। 2014 में चुनाव जीतने के बाद नंदू भैया ने इस गांव को गोद लिया। तब यहां के ग्रामीणों को लगा था कि अब हमारे गांव की दशा और दिशा बदल जाएगी लेकिन साढ़े चार साल होने के बाद भी सांसद अपने गोद लिए गांव आरुद की सुध लेने सिर्फ दो बार आए। यहां के ग्रामीणों की माने तो आज भी मूलभूत सुविधा गांव को नहीं मिल पाई है

 – शांतिलाल पटेल- ग्राम आरूद ग्रामवासी

मूलभूत सुविधा के लिए तरसते गांव 

केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार रहने के बाद भी पानी, सड़क और सफाई जैसी व्यवस्था गांव को अब तक नहीं मिल पाई है। पानी के लिए यह पाइप लाइन तो बिछाई गई लेकिन अबतक गांव में टंकी नहीं बनाई गई। आलम यह है कि गर्मियों के मौसम में यहां के ग्रामीणों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है। गंदगी का तो मानो गांव में अंबार लगा है। बस स्टैंड के पास ही शराब दुकान है और यहां शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है। आदर्श ग्राम आरूद को डिजिटल बनाने के लिए यहां वाईफाई टावर भी यह लगाए गए, लेकिन अब तक इसे वाईफाई केंद्र से जोड़ा नहीं गया। इन सब समस्याओं से जूझ रही लोकसभा क्षेत्र की जनता क्या एक बार फिर नंदू भैया की नैया पार लगाएगी या परिवर्तन करेगी ये तो वक्त ही बताएगा।


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