भोपाल।
मध्यप्रदेश में राज्यसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल 9 अप्रैल को समाप्त हो रहा है, ऐसे में प्रदेश की तीन सीटों पर चुनाव होना है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले एक दो हफ्तों में राज्यसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है।वही ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने की अटकलों के बीच अब प्रियंका गांधी को एमपी से राज्यसभा भेजे जाने की मांग उठने लगी है।कमलनाथ सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने यह मांग उठाई है।हैरानी की बात ये है कि मांग ऐसे समय पर उठाई गई है जब कांग्रेस में गुटबाजी और अंतर्कलह हावी हो।उधर, सिंधिया की नाराजगी भी सियासत गर्माए हुए है।ऐसे मे देखना रोचक होगा कि पार्टी इस मांग को कितना तवज्जो देती है।
रविवार को लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने प्रियंका गांधी को मप्र से राज्यसभा से भेजे जाने की मांग की है। वर्मा ने कहा कि मप्र में अनुसूचित जाति-जनजाति का बाहुल्य है और यह वर्ग हमेशा गांधी परिवार की पसंद रहा है। इसलिए प्रियंका को यहीं से राज्यसभा में भेजा जाना चाहिए। वर्मा ने कहा कि एक बात यह भी है कि इंदिरा गांधी कमलनाथ को छिंदवाड़ा लेकर आई थी, अब कमलनाथ मुख्यमंत्री हैं तो उन्हें प्रियंका को मध्यप्रदेश लाना चाहिए। इससे प्रदेश की जनता की ताकत बढ़ेगी।
तीन सीट हो रही है खाली
अप्रैल में राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। भाजपा के राज्यसभा सदस्य उपाध्यक्ष प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया (अनुसूचित जाति) का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इस सीट पर जहां प्रभात झा तीसरी पारी खेलने की तैयारी में हैं तो बाकी नेता नेताओं ने भी राज्यसभा सदस्य बनने के लिए जोड़-तोड़ शुरू कर दी है। वहीं दिग्विजय सिंह भी दोबारा राज्यसभा जाने की पूरी कोशिश में लगे हैं| फिलहाल दो भाजपा के पास हैं और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। इन सीटों के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच घमासान शुरू हो गया है। संख्याबल से देखे तो इस बार कांग्रेस के हिस्से में दो सीटें आ रही हैं।इनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया इन सीटों पर सबसे बड़े दावेदार के रुप में सामने आए हैं। एक सीट दिग्विजय सिंह का कार्यकाल पूरा होने से ही खाली हो रही है। सूत्रों की मानें तो दिग्विजय सिंह को एक बार फिर से राज्यसभा भेजा जा सकता है। वहीं दूसरी सीट पर सिंधिया का नाम तय हो सकता है। हालांकि कमलनाथ के मंत्री ने प्रियंका को राज्यसभा भेजे जाने की मांग उठाकर समीकरण बदल दिया है। अगर प्रियंका राज्यसभा जाती है तो या सिंधिया राज्यसभा जाएंगे या फिर दिग्विजय। तीनों का राज्यसभा जाना थोडा मुश्किल हो सकता है।
रोचक होगा मुकाबला
निर्वाचन के लिए कम से कम 58 विधायकों के वोटों की जरूरत है। यानी कांग्रेस और भाजपा अपने एक-एक उम्मीदवार को राज्यसभा में आसानी से पहुंचा सकते हैं। लेकिन तीसरे प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस की राह भाजपा के मुकाबले आसान है। तीसरी सीट के लिए निर्दलीय विधायकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण होगी। एक सदस्य के लिए 58 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ती है, इस लिहाज से तीसरी सीट के लिए कांग्रेस के 56 और भाजपा के पास 50 विधायक बचेंगे। कांग्रेस को जहां दो वोट की जुगाड़ करनी होगी, वहीं भाजपा को आठ वोटों की जरूरत होगी। दोनों दलों की नजर निर्दलीय विधायकों पर होगी।