भोपाल, हरप्रीत कौर रीन। भोपाल के छह पत्रकारों को पत्रकारिता का जुनून भारी पड़ गया। कांग्रेस के प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके ले जा रही बस के साथ साथ पत्रकार भी सेंट्रल जेल के दरवाजे पर पहुंच गए। पत्रकारिता का जुनून क्या न करवा दें और यह भी सच है कि जो जोखिम उठाता है वही ऊंचाइयों पाता है। भोपाल में एक ऐसा ही रोचक मामला हुआ जब कुछ जांबाज़ पत्रकारों ने कवरेज के लिए जो स्थान चुना उसने उन्हें सेंट्रल जेल के दरवाजे पहुंचा दिया। दरअसल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यानी एनएसयूआई ने ‘शिक्षा बचाओ- देश बचाओ’ अभियान के तहत गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने का प्रोग्राम बनाया था।
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प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से निकले कांग्रेस कार्यकर्ता रेड क्रॉस चौराहे के पास पहुंचे लेकिन वहा पुलिस मौजूद थी। बैरिकेडिंग भी थी और वाटर कैनन भी। कलेक्टर अविनाश लवानिया और डीआईजी इरशद वली भी दल बल के साथ मौजूद थे। पुलिस ने जब कार्यकर्ताओं को रोकना चाहा तो कार्यकर्ता नहीं रुके और पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। बाद में पुलिस ने दो सौ से ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जिनमें दो विधायक कुणाल चौधरी व विपिन वानखेड़े भी शामिल थे। बस अब पत्रकारों की कहानी यहीं से शुरू होती है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर इस कवरेज को शानदार जानदार दिखाने के लिए कुछ कैमरामैन व रिपोर्टर पुलिस बस की छत पर थे जहां से नजारा ठीक-ठाक देख रहा था। जैसे ही कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया उन्हें बस में भरा गया इसके बाद डीआईजी ने बस रवाना करने का आदेश दे दिया। कुछ कैमरामैन रिपोर्टर तो उतर गए। बाकी उतर पाते उससे पहले ही बस चल बैठी। पुलिस को भी कांग्रेसियों को जेल पहुंचाने की इतनी जल्दी थी कि बस किसी भी रेड सिग्नल पर नहीं रुकी। सायरन बजाते हुए सीधी सेंट्रल जेल के दरवाजे पर ही रूकी। सेंट्रल जेल के दरवाजे पर जैसे तैसे पत्रकार बस से नीचे उतरे और उसके बाद अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए। हालांकि यही जांबाजी और काम के प्रति जुनून सच में पत्रकार बनाता है और भले ही कुछ पत्रकार साथी कुछ समय के लिए परेशान हुए लेकिन इस बेहतरीन कवरेज के लिए उन्हें दिल से सलाम।