भोपाल।
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का सीधा फोकस किसानों पर है। कर्जमाफी के वादे को पूरा करने के बाद अब शिवराज सरकार में हुए कर्जमाफी घोटाले की जांच कराने की तैयारी कर रही है।इसके लिए विभागोंं को दस साल पुराने फाईलों को खोलने के आदेश दिए गए है।खबर है कि यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के समय 2008 में लागू की गई कर्ज माफी और राहत योजना में 108 करोड़ का घोटाला हुआ था, जिस पर कैग ने भी आपत्ति जताई थी।
दरअसल, सत्ता में आते ही कमलनाथ सरकार का शिवराज सरकार में हुए एक के बाद एक घोटालों की जांच करवा रही है। व्यापंम, ई-टेंडरिंग और सिंहस्थ घोटाले के बाद कमलनाथ सरकार 2008 में यूपीए सरकार द्वारा लागू की गई कर्ज माफी और राहत योजना में 108 करोड़ का घोटाले की जांच करवाने जा रही है।हालांकि तत्कालीन शिवराज सरकार ने भी जांच करवाई थी और सवा दो हजार कर्मचारियों को दोषी पाया था, लेकिन ज्यादातर को चेतावनी देकर छोड़ दिया था। इसके बाद तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राज्यपाल को घोटाले का प्रतिवेदन देते हुए जांच कराने की मांग उठाई। इसके मद्देनजर जांच कराई गई और नवंबर 2011 में श्वेत पत्र (रिपोर्ट) विधानसभा में पेश किया गया।
जांच में 108 करोड़ 14 लाख 65 हजार रुपए से ज्यादा की अनियमितता पाई गई।इसमें दो हजार 252 कर्मचारियों को दोषी पाया गया लेकिन केवल 45 कर्मचारियों को सेवा से हटाया गया और दो कर्मचारियों का डिमोशन किया कर 618 की वेतनवृद्धि रोकी गई।77 कर्मचारियों को दोष मुक्त कर दिया तो 824 को चेतावनी देकर छोड़ दिया और 441 पर अर्थदंड लगाया। जिसको विभागीय मंत्री ने अनुचित माना है और विस्तृत जांच के आदेश दिए। अब चुंकी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है इसी के चलते सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने प्रमुख सचिव को इस घोटाले की फिर से जांच करने के आदेश दिए । मंत्री ने प्रमुख सचिव से कहा है कि इस घोटाले की फाइलों को खोला जाए और जांच की जाए।उन्होंने इसके लिए कुछ अफसरों को चिन्हित कर रिपोर्ट देने को भी कहा है।बताते चले कि इस घोटाले पर कैग भी सवाल उठा चुका है।
इन जिलों में हुई थी ज्यादा अनियमितता
भिंड 157 समिति
सागर 156 समिति
होशंगबाद 140 समिति
खरगौन 124 समिति
मंदसौर 108 समिति
छतरपुर 102 समिति
जबलपुर 99 समिति
पन्ना 58 समिति
रीवा 80 समिति।