भोपाल। प्रदेश की कमलनाथ सरकार पिछली सरकार के नक्शे कदम पर चल रही है। बीते साल विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार ने कर्मचारियों के वोट बैंक को लुभाने के लिए रिटायरमेंट की उम्र दो साल बढ़ा दी थी। अब वही लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार डॉक्टरों की उम्र बढ़ाने की तैयारी कर रही है। खबर है कि लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार डॉक्टरों की रिटायरमेंट की उम्र 68 कर सकती है। वर्तमान में वे 65 में रिटायर होते है। इसके पीछे सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी बताया जा रहा है। लेकिन सुत्रों की माने तो इसकी मुख्य वजह वित्तीय संकट है। चुंकी सरकार का फोकस लोकसभा चुनाव और किसानों पर है। ऐसे में सरकार इन्हें रिटायर कर नई मुसीबत मोल नही लेना चाहेगी। खैर अंतिम फैसला तो सरकार को ही करना है, अब देखना है सरकार क्या फैसला लेती है। अगर ऐसा होता है तो फ़िलहाल नए डॉक्टरों की नियुक्ति के पचड़े से सरकार को राहत मिलेगा, प्रदेश में लम्बे समय से डॉक्टरों की कमी की समस्या है|
दरअसल, वर्तमान में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में करीब साढ़े तीन हजार डॉक्टरों की कमी है। हालांकि पीएससी से जरूरत के अनुसार डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। इस वजह से दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इनमें रिटारमेंट की उम्र एक-एक साल बढ़ाकर 68 साल तक करने पर भी विचार चल रहा है। अभी डॉक्टर 65 साल की उम्र में रिटायर हो रहे हैं। हर साल 150 से 200 डॉक्टर रिटायर हो रहे हैं। उम्र बढ़ने पर इनकी सेवाएं मिल सकेंगी और कमी को पूरा किया जा सकेगा।वैसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने भी मेडिकल कॉलेजों में रिटायरमेंट उम्र 70 साल तक करने की छूट राज्य सरकारों को दी है। हालांकि, मप्र में नियमित चिकित्सा शिक्षकों की उम्र अभी 65 साल ही है। इसी आधार पर सरकारी अस्पतालों में रिटायरमेंट उम्र बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा सरकार पीएससी से डॉक्टरों की भर्ती करने की भी तैयारी कर रही है। साथ ही निजी डॉक्टरों की भी स्वैच्छिक सेवाएं सरकारी अस्पतालों में ली जा सकती है।फिलहाल सरकार का फोकस डॉक्टरों की संख्या, साफ-सफाई, जांच सुविधाओं और दवाओं के अस्पतालों को बेहतर बनाने पर है।
नौकरियां घटेंगी, बेरोजगारी बढ़ेगी
अगर सरकार इनकी उम्र बढ़ाती है तो आने इससे सीधा फायदा डॉक्टरों और सरकार को लोकसभा चुनाव में होगा। इसके पीछे सरकार का मकसद डॉक्टरों को खुश करने के साथ-साथ किसानों पर हो रहे खर्च को भी पूरा करना चाहती है ।इससे सरकार एक साल में लाखों रुपए और रिटायरमेंट पर डॉक्टरों पर होने वाला खर्च सरकार बचाएगी।चुंकी वर्तमान में खाली खाली है और अगर डॉक्टर रिटायर होते है तो सरकार के पैसा देना होगा लेकिन सरकार ऐसी स्थिति में नही और सरकार का फोकस लोकसभा चुनाव और किसानों पर है। इससे फिर अपेक्षाकृत नौकरियां घटेंगी और बेरोजगारी बढ़ेगी।युवा जो डॉक्टर बनने का ख्वाब लेकर चल रहे है उन्हें थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा।
गौरतलब है कि 2010 में मेडिकल ऑफिसर्स के 1090 पदों के विरुद्ध 570 डॉक्टर ही मिले थे। इसके बाद करीब 200 डॉक्टरों ने पीजी करने या फिर मनचाही पोस्टिंग नहीं मिलने पर नौकरी छोड़ दी। 2013 में 1416 पदों पर भर्ती में 865 डॉक्टर मिले, लेकिन करीब 200 ने ज्वाइन नहीं किया और उतने ही नौकरी छोड़कर चले गए। यानी करीब 400 डॉक्टर ही मिले। 2015 में 1271 पदों में 874 डॉक्टर मिले हैं। इनमें भी 218 डॉक्टरों ने ज्वाइन नहीं किया। करीब 400 डॉक्टर ही मिल पाए। 2015 में ही 1871 पदों के लिए भर्ती शुरू हुई थी। इसमें 800 के करीब डॉक्टर मिले थे। अब 1398 पदों के लिए स्वास्थ्य संचालनालय ने पीएससी को प्रस्ताव भेजा है। जिसके चलते माना जा रहा है कि सरकार इनकी उम्र बढ़ा सकती है।