भोपाल, वीरेंद्र शर्मा। हिंदू महासभा (hindu mahasabha) के टिकिट से ग्वालियर पार्षद रह चुके और गोडसे समर्थक रहे बाबूलाल चौरसिया (babulal chaurasia) कांग्रेस (congress) में शामिल क्या हुए, पूरे देश में बवाल मच गया। बीजेपी (bjp) को तो मानो बैठे-बिठाए एक मुद्दा ही मिल गया। गुरुवार की सुबह मीडिया से बातचीत करते हुए प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (home minister dr.narottam mishra) ने कहा कि यह कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का परिचायक है कि उसके लिए गांधी (gandhi) के नाम पर इंदिरा (indira) सोनिया (Sonia) या राहुल (Rahul) ही प्रासंगिक हैं। गांधी केवल वोट और नोट के लिए हैं।
यहां तक तो ठीक था लेकिन कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे अरुण यादव (Arun yadav) के एक ट्वीट ने कांग्रेस के इस निर्णय को लेकर कांग्रेस के भीतर चल रहे मतभेदों को उजागर कर दिया। ट्विटर पर अरुण यादव ने लिखा ‘बापू हम शर्मिंदा हैं। महात्मा गांधी अमर रहे।’ यह सीधे-सीधे कमलनाथ (kamalnath) के इस निर्णय की आलोचना थी जिसके तहत बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में शामिल किया गया था।
लेकिन ग्वालियर (gwalior) दक्षिण पश्चिम से कांग्रेस के विधायक प्रवीण पाठक ने अरुण यादव के ट्वीट पर वार करते हुए कहा कि गांधी आज शर्मिंदा नहीं बल्कि खुश हुए होंगे। गोडसे की विचारधारा के ऊपर गांधी की विचारधारा हावी होती आज साफ तौर पर दिखाई दे रही है। एक और ट्वीट करते हुए प्रवीण पाठक ने लिखा कि गोडसे की दरिंदगी को छोड़कर गांधी की अहिंसा की ओर लौटने की शुरुआत हो चुकी है और इस परिवर्तन की शुरुआत ग्वालियर से हुई है।
दरअसल ग्वालियर में बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (former chief minister kamalnath) की मौजूदगी में बाबूलाल चौरसिया कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2017 में ग्वालियर में नाथूराम गोडसे nathuram godse की मूर्ति की स्थापना के लिए एक कार्यक्रम में शामिल हुए बाबूलाल चौरसिया विवादों में आए थे। कमलनाथ के इस निर्णय पर उनका बचाव करते हुए मानक अग्रवाल ने कहा कि यह निर्णय लेने के पहले चौरसिया के बारे में कमलनाथ कोई जानकारी नहीं होगी इसीलिए उन्हें पार्टी में शामिल करा दिया गया। हालांकि खुद चौरसिया ने कहा कि जन्मजात कांग्रेसी हैं और हिंदू महासभा ने उन्हें धोखे में रखकर गोडसे की पूजा करा दी थी। अब वे पूरी तरह से कांग्रेसी है और उनकी विचारधारा भी कांग्रेस समर्पित गांधीवादी विचारधारा है।