बड़ी खबर : सत्ता में आने के बाद पहली बार 1000 करोड़ रुपए का कर्जा लेगी ‘कमलनाथ सरकार’

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भोपाल।

15  सालों बाद वनवास खत्म कर कांग्रेस सत्ता में आई है, लेकिन खजाना खाली होने के कारण वादों और वचनों को पूरा करना सरकार के सामने चुनौती बना हुआ है, ऐसे में सरकार पहली बार करीब 1000 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। 8.37 प्रतिशत की ब्याज दर से बाजार से कर्जा उठाया जाएगा। इसके लिए कमलनाथ सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।  बताते चले कि वर्तमान में सरकार पर पौने दो लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्जा है और अब एक हजार करोड़ रुपये का कर्जा और जुड़ जाएगा। चुंकी सत्ता में आने से पहले सरकार ने जनता से कई वादे किए है ,जिन्हें पूरा करने के लिए सरकार को बार बार कर्ज लेना पड़ सकता है, जिससे सरकार पर भार बढ़ने की संभावना है।

दरअसल, शिवराज सरकार ने 15  सालों तक मध्यप्रदेश पर राज किया और योजनाओं और विकास के नाम पर करोड़ों का कर्ज लिया।जिससे खजाना खाली होता गया और प्रदेश पर कर्ज का भार बढ़ता गया, अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और वादों को पूरा करने के लिए खाली खजाना सरकार के सामने चुनौती बना हुआ है।ऐसे में कमलनाथ सरकार विकास कार्यों और जनहितेषी योजनाओं  को चलाने के लिए बाजार से कर्जा लेने जा रही है।किसान के कर्जमाफी के लिए भी सरकार को बड़ी रकम चाहिए, कर्जमाफी के लिए करीब 50 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी, साथ ही राज्य के खर्च के लिए भी सरकार को पैसा जुटाना होगा। ऐसे में तमाम योजनाएं प्रभावित न हो, इसके लिए कमलनाथ सरकार पहली बार बाजार से एक हजार करोड़ का कर्ज लने जा रही है। कर्ज के लिए  सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इसके अनुसार सरकार यह कर्ज 8.37 प्रतिशत की ब्याज दर पर लेगी। खबर है कि एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से उठाने के बाद भी चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार और कर्ज ले सकती है।

बता दें कि मप्र सरकार पर अभी तक पौने दो लाख करोड़ से अधिक राशि का कर्ज है। इस वित्तीय वर्ष में अभी तक राज्य सरकार 12 हजार करोड़ रुपए तक का कर्ज ले चुकी है। एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज और बाजार से उठाने के बाद चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार अभी और कर्ज ले सकती है। 

गौरतलब है  तेरह साल पहले जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी, तब मध्यप्रदेश सरकार पर 23 हजार करोड़ का कर्जा था, लेकिन इन तेरह सालों में कर्जे की राशि 6 गुना से अधिक बढ़ गई है। फिर भी सरकार कुछ नई बैंकों और संस्थानों से कर्ज लेने की तैयारी में जुटी हुई है। वर्ष 2002-03 के दौरान सरकार पर 23 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज था। इसके बाद बनी भाजपा सरकार ने भी विकास कार्यों के नाम पर धड़ाधड़ कर्ज लिया और अब कांग्रेस एक हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है।  इसके पहले दिसंबर 2018 में शिवराज सरकार भी 800 करोड़ रूपए का कर्ज लेने का नोटिफिकेशन जारी किया था। सरकार द्वारा बाजार से अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के नाम पर ये कर्ज लिया जाना था। बताया जा रहा है कि यह कर्ज 10 साल के लिए होगा। मध्यप्रदेश सरकार इससे पहले 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। 


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